आज से ठीक 50 साल पहले, 25 जून 1975 की आधी रात, एक ऐसा फैसला लिया गया जिसने करोड़ों भारतीयों की आवाज़ को ख़ामोश कर दिया, देश में आपातकाल लगा दिया गया, एक ऐसा दौर जिसकी गूंज आज भी भारतीय लोकतंत्र में महसूस की जाती है, यह आपातकाल भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में लगाया गया था।
दरअसल, 1975 में देश की सर्वोच्च अदालत ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध घोषित किया था, इसी के बाद राजनीतिक संकट गहराया और आधी रात को, राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने कैबिनेट की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा कर दी, इस आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, सेंसरशिप लागू हुई, हज़ारों विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया, यह दौर करीब 21 महीने तक चला, लेकिन क्या आप जानते हैं यह देश में पहली बार नहीं था जब आपातकाल लागू किया गया।

- देश में पहला आपातकाल 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान लगाया गया था, 26 अक्टूबर 1962 को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में इसे “बाहरी आक्रमण” के खतरे के कारण घोषित किया गया था, यह आपातकाल पूरे 5 साल से ज़्यादा चला।
- दूसरी बार, 3 दिसंबर 1971 को, भारत-पाकिस्तान युद्ध के चलते आपातकाल लगाया गया, उस समय राष्ट्रपति वीवी गिरी थे और देश की सुरक्षा को गंभीर खतरे के रूप में देखा गया। तीनों आपातकाल की परिस्थितियाँ अलग थीं, लेकिन 1975 का आपातकाल इसलिए अलग माना गया क्योंकि वह बाहरी युद्ध नहीं, बल्कि आंतरिक सत्ता संघर्ष और विरोध की आवाज़ों को दबाने का प्रतीक बन गया।