चित्र : विदिशा संसदीय सीट से बीजेपी उम्मीदवार शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस से प्रताप भानु शर्मा।
भोपाल। मध्य प्रदेश से विदिशा संसदीय क्षेत्र दशकों से बीजेपी खेमे में आता है। यहां बीजेपी अपने उन उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारती है जिन्हें वो लोकसभा में देखना चाहती है। इस बार शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से टिकट दिया गया है, तो वहीं अब कांग्रेस ने इस संसदीय क्षेत्र से अपने उम्मीदवार के तौर पर पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा को मैदान में उतारा है, जो 18 साल बाद लोकसभा चुनाव मैदान में वापसी कर रहे हैं।
तो वहीं, गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र, जहां से लोकसभा चुनाव 2024 में ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने एक नए चेहरे राव यादवेंद्र सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि राव यादवेंद्र यादव जिला पंचायत अध्यक्ष हैं, जो साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने परिवार के साथ बीजेपी से कांग्रेस में चले गए थे।
कांग्रेस ने दमोह सीट से तरवर सिंह लोधी को टिकट दिया है, उनका सामना बीजेपी के राहुल लोधी से होगा। ये दोनों ही नेता उमा भारती के समर्थक हैं। राहुल और तरवर को साल 2018 के चुनाव में कमल नाथ ने मैदान में उतारा और वे जीत गए। तरवर बंडा से और राहुल दमोह से जीत दर्ज की थी।
जब कमलनाथ सरकार गिर गई तो राहुल बीजेपी में लौट आए, इस तरह दमोह में उपचुनाव हुए, जिसमें राहुल, कांग्रेस के अजय टंडन से हार गए। उन्हें 2023 में मैदान में नहीं उतारा गया। लेकिन तरवर कांग्रेस के साथ रहे। उनके साथ भी कुछ ठीक नहीं हुआ और तरवर 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए।
आलम ये है कि अब दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं और दोनों ही दूर के रिश्तेदार भी हैं। सियासत के गणित को देखें तो कांग्रेस ने यादव समुदाय के वोट बैंक को भुनाने के लिए गुना-शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से में राव यादवेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। बता दें कि, इस सीट पर 4 लाख से ज़्यादा यादव मतदाता हैं, जो पिछले लोकसभा चुनाव में जातिगत वोट बैंक बने और उस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ बीजेपी के केपी सिंह यादव के समर्थन में वोट दिया।
ज्योतिरादित्य हार गए और कुछ समय बाद वो बीजेपी से जुड़ गए। बीजेपी के, केपी सिंह यादव जीते लेकिन उन्हें इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया। उस समय कांग्रेस में रहे सिंधिया को 1.2 लाख से ज्यादा वोटों से बीजेपी के केपी सिंह यादव ने हराया था।
इसके बाद राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा रही कि साल 1957 के बाद यह पहली बार था जब सिंधिया परिवार गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से हारा था। एमपी में यादव वोट बैंक का गणित सही डाटा पर मौजूद है। सूबे के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी यादव समुदाय से आते हैं।
बहरहाल, बात यदि फिर से विदिशा संसदीय सीट की करें तो AICC ने दो बार के पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा को शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ खड़ा किया है, प्रताप भानु शर्मा ने 1980 और 1984 में इस निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की, जबकि शिवराज सिंह चौहान 1991 और 2004 के 5 साल तक विदिशा के सांसद रहे।
इस बीच कांग्रेस का कहना है कि पार्टी शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एक हल्का उम्मीदवार नहीं दे सकती थी। पूर्व विधायक शशांक भार्गव पर विचार किया गया था, लेकिन वह इस सप्ताह की शुरुआत में भाजपा में चले गए। प्रताप भानु शर्मा चौहान के खिलाफ हमारे पास सबसे अच्छे उम्मीदवार हैं।