Vodafone Idea Shares: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वोडाफोन आइडिया को राहत, शेयरों में जबरदस्त उछाल

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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अहम फैसले में केंद्र सरकार को दूरसंचार कंपनियों के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया की पुनर्गणना पर विचार करने की अनुमति दी गई। इस खबर के बाद वोडाफोन आइडिया के शेयरों में जोरदार उछाल देखने को मिला। बीएसई पर कंपनी के शेयर 7.48 प्रतिशत की बढ़त के साथ 10.34 रुपये प्रति शेयर तक पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एजीआर बकाया से जुड़ा यह मामला केंद्र सरकार के नीतिगत दायरे में आता है। इसलिए अदालत को इसमें किसी प्रकार की बाधा दिखाई नहीं देती। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि केंद्र चाहे तो इस मामले पर पुनर्विचार कर सकता है और आवश्यकता पड़ने पर कोई ठोस निर्णय भी ले सकता है।

मामला क्या है?

वोडाफोन आइडिया पर एजीआर के तहत भारी बकाया है। कंपनी पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही है और सरकार ने इसे बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। हाल में दूरसंचार विभाग ने कंपनी से वित्त वर्ष 2016-17 तक के लिए 5,606 करोड़ रुपये के अतिरिक्त एजीआर शुल्क की मांग की थी। कंपनी ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कंपनी का कहना है कि दूरसंचार विभाग ने एजीआर की गणना में कई त्रुटियाँ की हैं, जिनके चलते उस पर गलत तरीके से अतिरिक्त बकाया लगाया गया है। वोडाफोन आइडिया ने अदालत से मांग की थी कि विभाग को पुराने आंकड़ों का पुनर्मूल्यांकन करने का निर्देश दिया जाए।

एजीआर क्या होता है?

एजीआर यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू, वह कुल आय होती है जिसके आधार पर टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क देना पड़ता है। इसमें कंपनी की सभी कमाई शामिल होती है — चाहे वह कॉल, डेटा या अन्य सेवाओं से क्यों न हो। यही गणना लंबे समय से विवाद का कारण बनी हुई है।

अतीत के फैसले

सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर मामले में टेलीकॉम कंपनियों को 93,520 करोड़ रुपये चुकाने का आदेश दिया था। अदालत ने कंपनियों को राहत देते हुए यह राशि चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया था। इस फैसले के अनुसार, कंपनियों को 31 मार्च 2021 तक कुल बकाया का 10 प्रतिशत भुगतान करना था और बाकी रकम 2031 तक किस्तों में चुकानी थी।

सरकार की भूमिका

केंद्र सरकार ने भी अदालत को बताया कि वोडाफोन आइडिया में उसकी लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिससे सरकार का सीधा आर्थिक हित जुड़ा हुआ है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को सूचित किया था कि सरकार कंपनी के साथ मिलकर समाधान निकालने के प्रयास कर रही है ताकि दूरसंचार क्षेत्र की स्थिरता बनी रहे।

आगे क्या?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब केंद्र सरकार के पास यह विकल्प है कि वह एजीआर बकाया की पुनर्गणना कर कंपनियों को राहत देने पर विचार करे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने सकारात्मक रुख अपनाया, तो इससे वोडाफोन आइडिया जैसी मुश्किल में फंसी कंपनियों को राहत मिल सकती है और टेलीकॉम सेक्टर में निवेश का माहौल सुधर सकता है।

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