उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के ककवन थाना क्षेत्र के गुमानीपुरवा गांव में इन दिनों अजीब और डरावनी दहशत का माहौल है। यहां लोगों की नींद किसी जंगली जानवर या डकैतों से नहीं, बल्कि गांव के ही एक शख्स अलवर से उड़ी हुई है। ग्रामीणों के बीच यह व्यक्ति अब “नाककटवा” के नाम से कुख्यात हो चुका है। आरोप है कि मामूली विवाद या झगड़े के दौरान वह सामने वाले व्यक्ति पर हमला कर उसकी नाक या उंगली अपने दांतों से काट लेता है। अब तक गांव के करीब आधा दर्जन से ज्यादा लोग उसकी इस हैवानियत का शिकार बन चुके हैं, जिससे पूरे इलाके में भय का माहौल है।
जनता दरबार में की शिकायत
पीड़ित ग्रामीणों ने हाल ही में डीएम के जनता दरबार में पहुंचकर अपनी व्यथा सुनाई और न्याय की मांग की। दिवारी लाल नाम के एक व्यक्ति ने अपनी कटी नाक दिखाते हुए बताया कि अलवर अक्सर नशे में धुत होकर गांववालों से झगड़ा करता है। उन्होंने कहा कि पहले अलवर ने उनके भाई अवधेश की नाक काटी और फिर उन पर कुल्हाड़ी से हमला कर उनकी उंगली भी काट डाली। दिवारी लाल का कहना है कि जब उन्होंने पुलिस में शिकायत की, तो उल्टा उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर दिया गया। वहीं, उनके साथ मौजूद एक अन्य ग्रामीण उमेश ने बताया कि करीब दो साल पहले भी अलवर ने उसकी नाक काट ली थी, जिसके बाद वह जेल गया था, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद उसने अपनी हरकतें दोबारा शुरू कर दीं।
ग्रामीणों ने की प्रशासन से कार्रवाई की मांग
गांव के लोगों का कहना है कि अलवर जब नशे में होता है तो किसी को भी पकड़कर काट लेता है — कभी नाक, तो कभी उंगली। गांव में बच्चे और महिलाएं तो उसके नाम से ही डर जाते हैं। लोग अब शाम ढलते ही घरों में बंद हो जाते हैं और अकेले बाहर निकलने से बचते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो कोई बड़ी घटना हो सकती है।
एसीपी ने दिया मामले पर जवाब
वहीं, पुलिस पर भी इस मामले में लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। पीड़ितों का कहना है कि पुलिस ने आरोपी को बचाने के लिए क्रॉस एफआईआर दर्ज कर दी। इस पर एसीपी अमरनाथ यादव ने सफाई देते हुए कहा कि 19 अक्टूबर को दोनों पक्षों में मारपीट हुई थी, जिसमें सभी को चोटें आई थीं। “नाक काटने जैसी कोई बात नहीं मिली, शायद लड़ाई में चोट लग गई हो।”
डीएम ने दिए जांच के आदेश
हालांकि, डीएम ने अब मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दे दिए हैं। गांववाले उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन जल्द ही इस “नाककटवा” के आतंक से उन्हें राहत दिलाएगा। यह घटना न केवल ग्रामीणों की असुरक्षा को उजागर करती है, बल्कि कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े करती है।


