उन्नाव। उन्नाव दुष्कर्म मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दुष्कर्म पीड़िता के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
बीते दिनों हाई कोर्ट ने कुलदीप सेंगर की सजा को निलंबित करते हुए जमानत मंजूर की थी, जिसके बाद देशभर में फैसले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं। महिला संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने इसे पीड़िता के साथ अन्याय बताते हुए विरोध दर्ज कराया था।
“हाई कोर्ट ने तथ्यों को नजरअंदाज किया” – पीड़िता
दुष्कर्म पीड़िता ने कहा कि हाई कोर्ट ने बिना सभी तथ्यों को ध्यान में रखे सजा निलंबन का फैसला सुनाया था। उसने भरोसा जताया कि सुप्रीम कोर्ट उसके दर्द और संघर्ष को समझेगा।
पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को “सच की जीत” बताया और कहा कि उसे उम्मीद है कि आगे भी न्याय उसके पक्ष में रहेगा।
कुलदीप खेमे में मायूसी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कुलदीप सेंगर के समर्थकों और परिजनों में निराशा देखी गई। उन्नाव के माखी स्थित उनके घर पर ताला लगा नजर आया। वहीं, सोशल मीडिया पर कुलदीप को निर्दोष बताकर पीड़िता को कटघरे में खड़ा करने वाली पोस्ट और टिप्पणियों में भी कमी आई है।
कुलदीप की बेटी का भावुक पोस्ट
इस बीच कुलदीप सेंगर की छोटी बेटी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक भावुक पोस्ट साझा की। उन्होंने भारत गणराज्य के माननीय अधिकारियों को संबोधित करते हुए लिखा कि वह एक ऐसी बेटी के रूप में यह पत्र लिख रही हैं, जो थकी हुई, डरी हुई और धीरे-धीरे विश्वास खो रही है, फिर भी उम्मीद से जुड़ी हुई है।
उन्होंने लिखा,
“आठ वर्षों से मेरा परिवार चुपचाप और धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहा है। हमने कानून पर भरोसा किया, लेकिन आज यह भरोसा टूटता हुआ महसूस हो रहा है।”
कैसे पहुंचा मामला सुप्रीम कोर्ट
माखी दुष्कर्म कांड में दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को कुलदीप सेंगर की सजा को निलंबित किया था। इसके बाद देशभर में विरोध शुरू हो गया। दुष्कर्म पीड़िता ने महिला संगठनों के साथ धरना-प्रदर्शन किया।
सीबीआई ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सजा निलंबन पर रोक लगाने का आदेश दिया।




