बुंदेलखंड में दशकों तक खौफ का दूसरा नाम रहे कुख्यात गैंगस्टर और पूर्व ब्लॉक प्रमुख लेखराज यादव (76) की मौत हो गई। गाजियाबाद की डासना जेल में बंद लेखराज गुरुवार रात दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाज के दौरान चल बसे। लीवर सिरोसिस, डायबिटीज सहित कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। शनिवार को झांसी के रानीपुर कस्बे में उनका अंतिम संस्कार होगा।
राजनीतिक ताकत ने बनाया ‘पापाजी’
झांसी के रानीपुर निवासी लेखराज यादव को समर्थक ‘लंकेश’ और ‘पापाजी’ कहते थे। राजनीतिक संरक्षण की बदौलत वह बुंदेलखंड में ताकतवर बन गया। खुद दो बार बंगरा ब्लॉक प्रमुख रहा, बहू और पत्नी को भी राजनीति में स्थापित किया। बेटा भगत सिंह और पत्नी राम मूर्ति नगर पंचायत चेयरमैन रह चुके हैं।
अपने अहाते में ‘दरबार’ लगाता था, जहां अपनी मर्जी से ‘न्याय’ करता था। छोटे अपराधियों को जोड़कर मजबूत गैंग बनाया। यूपी में वारदात कर मध्य प्रदेश में शरण लेता था। जमीन कब्जा, अवैध खनन जैसे धंधों में लिप्त रहा।
2006 की खौफनाक हत्याएं और उम्रकैद
17 दिसंबर 2006 को लेखराज ने तत्कालीन भाजयुमो जिलाध्यक्ष मनोज श्रोत्रिय सहित चार लोगों को सरेआम गोलियों से भून डाला। इलाका दहल उठा। वह एमपी भाग गया। 2019 में दस्यु उन्मूलन कोर्ट ने उसे और उसके 8 गुर्गों को उम्रकैद की सजा सुनाई। तब से जेल में था।
60 से ज्यादा मामले, गैंगस्टर एक्ट भी
लेखराज हिस्ट्रीशीटर था। झांसी सहित यूपी-एमपी में 60 से अधिक मामले दर्ज। सिर्फ झांसी में 25 मुकदमे, जिनमें 22 मऊरानीपुर थाने में। हत्या, प्रयास, रंगदारी, लूट जैसे गंभीर अपराध। उसका गैंग लीडर खुद था, बेटा जय हिंद और गुर्गे रामस्वरूप, महेंद्र आदि सदस्य।
वायरल ऑडियो और पुलिस काफिले पर हमला
एक बार कोतवाल सुनीत सिंह से मुठभेड़ की बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ, जिससे यूपी पुलिस सवालों में घिर गई। कोतवाल नौकरी गंवा बैठे। 2022 में कन्नौज से झांसी लाते समय पुलिस काफिले पर हमला कर उसे छुड़ाने की कोशिश हुई। इसमें पूर्व विधायक दीपनारायण यादव सहित कई पर मुकदमा दर्ज हुआ।



