लखनऊ में नशे के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग, बोले- नए साल पर मधुशाला नहीं मंदिर जाएं I

लखनऊ में साल के आखिरी दिन बुधवार को नशे के खिलाफ बड़ा जनआंदोलन देखने को मिला. नए साल से पहले नशे के विरोध में करीब 2 हजार लोगों ने सड़क पर उतरकर पैदल मार्च निकाला. यह मार्च शहीद स्मारक से हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा तक निकाला गया.

इस नशा मुक्ति यात्रा में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और पूर्व सांसद कौशल किशोर भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि हर साल देश में करीब 20 हजार लोगों की मौत नशे के कारण हो जाती है. उन्होंने युवाओं से नशे से दूर रहने की अपील की.

महिलाओं ने संभाली नशा मुक्ति यात्रा की कमान

नशा मुक्ति मार्च में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी देखने को मिली. हाथों में तख्तियां लेकर चल रही महिलाओं ने
नशा नाश की जड़ है, युवाओं नशे से दूर रहो
और
नशा नहीं, जिंदगी चुनो
जैसे नारे लगाए. महिलाओं के इस अभियान को युवाओं ने भी जमकर समर्थन दिया.

कौशल किशोर बोले- नशा अंतरराष्ट्रीय साजिश है

कौशल किशोर ने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी तेजी से नशे की चपेट में आ रही है. उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय साजिश बताते हुए कहा कि भारत में विभिन्न प्रकार के ड्रग्स और नशीले पदार्थों की स्मगलिंग की जा रही है. नशे के कारण बड़ी संख्या में युवक और युवतियां मौत के मुंह में जा रहे हैं.

उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि 2020 में शराब के कारण उनके बेटे की मौत हुई, जिसके बाद से वे लगातार नशा मुक्ति को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं.

2047 तक भारत को नशा मुक्त बनाने का लक्ष्य

कौशल किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह संकल्प लिया है कि 2047 तक विकसित और आत्मनिर्भर भारत के साथ नशा मुक्त भारत का निर्माण किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नए साल के मौके पर नशे का कारोबार तेजी से बढ़ता है और युवाओं को पार्टियों के नाम पर नशे की ओर धकेला जाता है. इस बार प्रयास है कि कोई भी युवा इस दलदल में न जाए.

नए साल पर मंदिर जाने की अपील

पूर्व सांसद ने लोगों से अपील की कि नए साल पर बार और लॉज की बजाय मंदिर, गुरुद्वारा और मस्जिद जाएं. नई सुबह की शुरुआत अच्छे कार्यों से होनी चाहिए, न कि शराब, चरस या गांजा से. उन्होंने बताया कि हर साल 20 लाख से अधिक लोगों की मौत कैंसर से होती है, जिसके पीछे नशा एक बड़ी वजह है.

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