बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। शुक्रवार को हुई मतगणना में आए रुझानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है। जेडीयू और भाजपा का गठबंधन बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है, वहीं नीतीश कुमार की जेडीयू इस बार सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर रही है। भाजपा भी बेहद मजबूत प्रदर्शन करते हुए जेडीयू के लगभग बराबर सीटों पर पहुंच चुकी है।
JDU कार्यालय में उत्साह का माहौल
जैसे-जैसे नतीजों का ग्राफ बढ़ता गया, पटना स्थित जेडीयू कार्यालय में उत्साह का माहौल भी बढ़ता गया। कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाना शुरू कर दिया और ‘फिर से नीतीश कुमार’ के नारे गूंजने लगे। रुझानों के अनुसार एनडीए को लगभग 200 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं, जिनमें सबसे अधिक सीटें नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को जाती दिख रही हैं। अब बड़ा सवाल यह है — आखिर ऐसा क्या हुआ कि बिहार की जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर भरोसा जताया?
नीतीश कुमार की बंपर जीत के पांच बड़े कारण
- महिलाओं के लिए खुला सरकारी खजाना
चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले नीतीश सरकार ने महिलाओं के हक में कई बड़ी घोषणाएँ की थीं। जीविका दीदियों, अतिथि शिक्षकों और विभिन्न योजनाओं से जुड़ी महिलाओं के खातों में सीधे 10,000 रुपये ट्रांसफर किए गए। विपक्ष ने इसे ‘चुनावी फायदा’ पाने का तरीका बताया, लेकिन महिलाओं के बीच इसका बड़ा असर हुआ और जेडीयू को इसका सीधा लाभ मिलता दिख रहा है।
- महिलाओं में नीतीश कुमार की भारी लोकप्रियता
एग्ज़िट पोल्स में भी यह सामने आया था कि महिलाएं इस चुनाव में नीतीश की सबसे मजबूत वोटर बनकर सामने आईं। करीब 40.3% महिलाओं ने नीतीश को मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद बताया। पिछले वर्षों में महिलाओं की सुरक्षा, उनके लिए योजनाओं और सामाजिक सुधारों पर लगातार काम करने का फायदा जेडीयू को इस चुनाव में स्पष्ट रूप से मिला है।
- जनता के बीच सक्रिय, लेकिन मीडिया से दूरी
चुनाव अभियान के दौरान नीतीश कुमार मीडिया से दूरी बनाए रहे। उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस या मीडिया बहस से दूरी बनाकर सीधे जनता के बीच जाने की रणनीति अपनाई। इससे विपक्ष को उन्हें घेरने का मौका कम मिला। भ्रष्टाचार से जुड़े आरोपों को भी जनता ने बड़े स्तर पर नजरअंदाज कर दिया और नीतीश को “काम करने वाला नेता” मानकर उन पर भरोसा जताया।
- महिलाओं को सत्ता में हिस्सेदारी
बिहार की सामाजिक कार्यकर्ता शाहिना परवीन के मुताबिक बिहार की महिलाएं अब केवल जाति या भाषा आधारित राजनीति नहीं देखतीं। उन्हें योजनाओं का सीधा लाभ और सत्ता में भागीदारी चाहिए। नीतीश सरकार ने पंचायतों में 50% आरक्षण, शिक्षा-स्वास्थ्य में महिला नेतृत्व बढ़ावा और कई कल्याणकारी योजनाओं से महिलाओं को सशक्त बनाया। इससे वे महिलाओं के लिए सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री बनकर उभरे।
- शराबबंदी का जारी असर
2016 में लागू की गई शराबबंदी भी इस चुनाव में एक बड़ा फैक्टर साबित हुई। सर्वे बताते हैं कि शराबबंदी से घरेलू हिंसा में 35% कमी और महिलाओं की बचत में 22% वृद्धि हुई। इस फैसले का सीधा लाभ महिलाओं को हुआ और इसका असर 2025 के चुनाव में भी देखने को मिला।





