यूपी में आयुर्वेद डॉक्टरों को मिली सर्जरी की अनुमति: छोटी-मोटी ऑपरेशन अब आयुर्वेद अस्पतालों में होंगे

उत्तर प्रदेश में जल्द ही आयुर्वेदिक डॉक्टर छोटी-मोटी सर्जरी करने में सक्षम हो जाएंगे। आयुष विभाग ने इसके लिए नई गाइडलाइन तैयार की है, जिसे कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा। पोस्टग्रेजुएट (शल्य तंत्र और शल्यक) डिग्रीधारी आयुर्वेद डॉक्टरों को घावों पर टांके लगाना, फोड़े-फुंसी की सर्जरी, बवासीर और फिशर का इलाज, छोटे सिस्ट या ट्यूमर निकालना, स्किन ग्राफ्टिंग, मोतियाबिंद की सर्जरी, नाक-कान-गला (ईएनटी) से जुड़ी सर्जरी और दांतों में रूट कैनाल जैसी प्रक्रियाएं करने की अनुमति मिलेगी। इससे मरीजों को नजदीकी आयुर्वेद अस्पतालों में ही इलाज मिल सकेगा और एलोपैथिक अस्पतालों पर बोझ कम होगा।

नई गाइडलाइन में आयुर्वेद डॉक्टरों को छह महीने का विशेष प्रशिक्षण एलोपैथिक अस्पतालों में देने का प्रावधान है। इस दौरान वे आपात स्थिति में मरीज प्रबंधन, सर्जरी की सावधानियां और आधुनिक ऑपरेशन थिएटर प्रोटोकॉल सीखेंगे, ताकि सर्जरी सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण हो।

भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (CCIM) ने 2016 और 2020 में संशोधन कर शल्य तंत्र और शल्यक में पोस्टग्रेजुएट करने वाले डॉक्टरों को यह अनुमति दी है। आंध्र प्रदेश में यह व्यवस्था पहले से लागू है। यूपी में इसे लागू करने से ग्रामीण इलाकों में मरीजों को घर के पास सर्जरी सुविधा मिलेगी, वेटिंग टाइम कम होगा और आयुर्वेद अस्पतालों का स्तर ऊंचा उठेगा।

हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) इसका विरोध कर रहा है और मरीजों की सुरक्षा पर सवाल उठा रहा है। आयुष विभाग का कहना है कि पूरी पढ़ाई और ट्रेनिंग के बाद कोई खतरा नहीं रहेगा। अन्य राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन भी किया जा रहा है। कैबिनेट मंजूरी के बाद यह पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगा।

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