अस्पताल में अघोरियों के हाथों में नवजात, ‘कल्कि अवतार’ का दावा: वायरल वीडियो की सच्चाई सामने आई

सोशल मीडिया पर वायरल एआई से तैयार वीडियो का प्रतीकात्मक दृश्य, जिसमें अघोरी साधुओं द्वारा नवजात को कल्कि अवतार बताने का झूठा दावा किया गया है।


सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि वाराणसी के एक निजी अस्पताल में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि ने जन्म लिया है। वीडियो में कुछ अघोरी साधुओं को एक नवजात शिशु को गोद में लेकर उसे ईश्वरीय अवतार बताते हुए देखा जा सकता है। इस दावे ने आस्था और चमत्कार के नाम पर लोगों के बीच सनसनी फैला दी।
वायरल क्लिप में दिखाया गया है कि बच्चे के जन्म के कुछ ही घंटों बाद अघोरियों का एक समूह अस्पताल पहुंचता है और सीधे उस केबिन में दाखिल होता है, जहां नवजात रखा गया है। इसके बाद वे बच्चे को गोद में लेकर उसे ‘साक्षात भगवान का अवतार’ बताते हैं। पहली नज़र में यह दृश्य चौंकाने वाला लगता है और कई लोग इसे बिना सवाल किए सच मान लेते हैं।
हालांकि, जब इस वीडियो की पड़ताल की गई तो कई अहम सवाल सामने आए। इतने बड़े शहर में, जहां रोज़ाना दर्जनों सरकारी और निजी अस्पतालों में बच्चों का जन्म होता है, किसी एक नवजात के बारे में साधु-संतों को पहले से जानकारी कैसे हो सकती है? यही नहीं, यह घटना अचानक इतनी चर्चित कैसे हो गई?


फैक्ट चेक में सामने आया कि सोशल मीडिया पर किए जा रहे सभी दावे भ्रामक हैं। न तो वाराणसी के किसी अस्पताल में कल्कि अवतार का जन्म हुआ है और न ही किसी नवजात को अघोरियों द्वारा चमत्कारी रूप से अवतार घोषित किया गया। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि वायरल वीडियो वास्तविक नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार यह वीडियो एआई आधारित वीडियो मेकर की मदद से तैयार किया गया है। आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर ऐसा दृश्य रचा गया, जिससे यह किसी असली घटना जैसा लगे। आस्था और भावनाओं को छूने वाली कहानी गढ़कर इसे जानबूझकर सोशल मीडिया पर फैलाया गया, ताकि लोग बिना जांचे-परखे इस पर विश्वास कर लें।
यह मामला एक बार फिर याद दिलाता है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली हर कहानी सच नहीं होती और किसी भी दावे पर भरोसा करने से पहले उसकी सच्चाई जांचना ज़रूरी है।

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