संतकबीरनगर: सौतेले पिता की दरिंदगी, पुलिस महिला कांस्टेबल की 13 वर्षीय बेटी से दुष्कर्म; आरोपी गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में एक ऐसी शर्मनाक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है, जहां रिश्तों की पवित्रता को तार-तार कर दिया गया। यहां एक महिला पुलिस कांस्टेबल की 13 साल की नाबालिग बेटी अपने सौतेले पिता की जघन्य हवस का शिकार बन गई। आरोपी ने मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया, जिसके बाद पीड़िता ने रोते-बिलखते अपनी मां को सारी हकीकत बता दी।

पीड़िता पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा है और अपनी मां के साथ किराए के मकान में रहती है। बच्ची मां की पहली शादी से हुई संतान है। मां की पहली शादी करीब दस साल पहले टूट गई थी, जिसके बाद उन्होंने दूसरी शादी की। सौतेला पिता ही इस जघन्य अपराध का आरोपी है। घटना दो दिन पहले की बताई जा रही है, जब आरोपी ने मौका देखकर बच्ची के साथ यह हैवानियत की।

जैसे ही बच्ची ने अपनी मां को यह दर्दनाक घटना बताई, महिला कांस्टेबल ने हिम्मत दिखाते हुए बिना किसी देरी के महिला थाने में पहुंचकर अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शनिवार को कोतवाली में दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे जेल भेज दिया गया।

स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पीड़िता की मां द्वारा दी गई शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ POCSO एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेज) के तहत भी केस चलाया जा रहा है। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और आगे की जांच जारी है। पुलिस का कहना है कि वैधानिक कार्रवाई पूरी तरह से की जाएगी।

यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। स्थानीय लोग आरोपी की इस दरिंदगी से आक्रोशित हैं और उसे कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। एक बार फिर यह मामला बच्चों की सुरक्षा, खासकर घर के अंदर ही खतरे की ओर इशारा कर रहा है। समाज में बढ़ते ऐसे अपराधों ने न केवल परिवारों को चिंतित किया है, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं।

महिला कांस्टेबल की बहादुरी सराहनीय है, जिन्होंने अपनी ड्यूटी की भावना को कायम रखते हुए अपने ही पति के खिलाफ आवाज उठाई। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को तुरंत सहायता और मनोवैज्ञानिक सपोर्ट मुहैया कराना जरूरी है

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