16 दिसंबर 2025 कुशीनगर-उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले से अंधविश्वास और जादू-टोना से जुड़ी एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। विशुनपुरा थाना क्षेत्र के मिश्रौली गांव में एक महिला को उसके ही ससुर और देवर ने जादू-टोना करने के शक में बेरहमी से पीट दिया। इस हमले में महिला गंभीर रूप से घायल हो गई, जिसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना ने एक बार फिर समाज में फैले अंधविश्वास और उसकी भयावह परिणति को उजागर कर दिया है।

पीड़िता की पहचान नेयाज की पत्नी जशीदा के रूप में हुई है। बताया गया कि जशीदा के पति रोज़गार के सिलसिले में विदेश में रहते हैं। वह अपने चार बच्चों के साथ गांव में ही रहती है, जबकि उसके ससुर और देवर अलग घर में रहते हैं। दोनों परिवारों के बीच सामान्य औपचारिक संबंधों के अलावा कोई खास मेलजोल नहीं था।
पीड़िता के साथ अस्पताल पहुंचे असगर अली ने बताया कि जशीदा के देवर आलम का चार वर्षीय इकलौता बेटा पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहा था। बच्चे को बुखार और उल्टी की शिकायत थी, लेकिन परिजन उसे किसी डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय अंधविश्वास और जादू-टोना जैसी बातों में उलझ गए। घर की महिलाओं ने यह मान लिया कि बच्चे की बीमारी के पीछे किसी का किया हुआ जादू-टोना है।
जशीदा का आरोप है कि सोमवार को उसका देवर आलम और ससुर इद्रीस कुछ ग्रामीणों के साथ उसके घर पहुंचे। उन्होंने उस पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया और उसे “डायन” कहकर अपमानित किया। विरोध करने पर दोनों ने उस पर ईंट से हमला कर दिया। इस मारपीट में जशीदा के सिर, कमर और कान में गंभीर चोटें आईं। शोर सुनकर आसपास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे और किसी तरह बीच-बचाव कर उसकी जान बचाई।

घटना की जानकारी मिलने पर जशीदा के पति ने विदेश से ही अपने दोस्त असगर अली को फोन कर उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाने को कहा। पहले उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर देखते हुए कुशीनगर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। फिलहाल वहां उसका इलाज चल रहा है।
इस मामले में विशुनपुरा थाना प्रभारी आनंद गुप्ता ने बताया कि अभी तक थाने में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। हालांकि, मीडिया के जरिए उन्हें घटना की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कराई जा रही है और जांच के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज में अब भी मौजूद अंधविश्वास की गहरी जड़ों को भी दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता और सख्त कानूनी कार्रवाई ही ऐसी घटनाओं पर रोक लगा सकती है।