वृंदावन। बाबा नीम करौरी महाराज के प्रसिद्ध आश्रम के संचालन को लेकर विवाद सामने आया है। उत्तराखंड के आरटीआई कार्यकर्ता अजीत सिंह चौहान ने आश्रम संचालन के लिए गठित श्री ठाकुर हनुमानजी ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने ट्रस्ट की चल-अचल संपत्तियों के कथित दुरुपयोग और मूल ट्रस्ट डीड के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी से मामले की जांच की मांग की है।
हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित हरिलोक कॉलोनी निवासी अजीत सिंह चौहान ने जिलाधिकारी को सौंपे गए शिकायती पत्र में बताया कि बाबा नीम करौरी महाराज ने 25 अप्रैल 1967 को अपने शिष्य बाबा हरिदास को जिम्मेदारी देते हुए श्री ठाकुर हनुमानजी ट्रस्ट का गठन कराया था, जिसे 5 मई 1967 को सब-रजिस्ट्रार कार्यालय, मथुरा में पंजीकृत किया गया।
शिकायत के अनुसार ट्रस्ट डीड में 11 सदस्यों की व्यवस्था थी, लेकिन केवल 7 सदस्यों की नियुक्ति की गई। आरोप है कि बाबा नीम करौरी महाराज के 1974 में निधन के बाद वर्ष 2000 में धर्मनारायण अवैध रूप से ट्रस्ट के सचिव बने और इसके बाद अपने करीबी रिश्तेदारों को ट्रस्ट में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया। रिश्तेदारों की नियुक्ति का आरोप है आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार दामाद त्रिलोकचंद शर्मा को ट्रस्टी, दूसरे दामाद देवेंद्र कुमार शर्मा को संयुक्त सचिव, तीसरे दामाद मनोज रावत को सदस्य बेटी गिरिजा भटेले के पुत्र संदीप उर्फ बाबी भटेले को 23 दिसंबर को सचिव साले रामप्रकाश शर्मा के पुत्र विनोद शर्मा और संबंधी राधाकृष्ण पाठक को ट्रस्टी बनाया गया आरोप है कि ये नियुक्तियां मूल ट्रस्ट डीड के प्रावधानों के विरुद्ध हैं और इससे ट्रस्ट की संपत्तियों के दुरुपयोग की आशंका है।
आरोप है कि ये नियुक्तियां मूल ट्रस्ट डीड के प्रावधानों के विरुद्ध हैं और इससे ट्रस्ट की संपत्तियों के दुरुपयोग की आशंका है।
वहीं, आश्रम के ट्रस्टी त्रिलोक चंद्र शर्मा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि
“नीम करौरी महाराज ने अपने सामने जिस ट्रस्ट का गठन कराया था, उसी के नियमों के अनुसार वर्तमान में ट्रस्ट का संचालन किया जा रहा है।”
फिलहाल मामला प्रशासन के संज्ञान में है और अब जिलाधिकारी के निर्णय और जांच प्रक्रिया पर सभी की निगाहें टिकी हैं।




