कहते हैं दिल्ली की सत्ता की चाबी लखनऊ की चौखट पर टंगी होती है… और लखनऊ का रास्ता अक्सर प्रतापगढ़ से होकर निकलता है, उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य जहाँ राजनीति महज जनसेवा नहीं, बल्कि ताकत, रसूख और दहशत का दूसरा नाम है और जब बात हो सियासी ताकत की… तो एक नाम हमेशा गूंजता है कुंवर रघुराज प्रताप सिंह, उर्फ़ ‘राजा भैया’।
हत्या, अपहरण, धमकी, लूट एक लंबी फेहरिस्त है आरोपों की, जिनसे राजा भैया का नाम जुड़ा, लेकिन हैरानी की बात ये नहीं कि उन पर आरोप लगे, हैरानी इस बात की है कि जनता ने हर बार उन्हें सिर आंखों पर बिठाया, कोई कहता है दबंग, कोई मसीहा…लेकिन एक बात तय है राजा भैया सिर्फ एक नेता नहीं, एक ‘राजनीतिक परिघटना’ हैं।
सियासत के गलियारों में ‘राजा’ की सत्ता ऐसी रही कि जेल की सलाखें भी उनके राजनीतिक प्रभाव को कैद नहीं कर सकीं, जेल के अंदर से चुनाव लड़ा… और बहुमत से जीता भी, प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा सीट से लगातार कई बार विधायक रहे राजा भैया का राजनीतिक सफर जितना ताकतवर रहा है, उतना ही रहस्यमयी और विवादों से घिरा भी रहा है।
साल 2002 की बात है, जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी ने मिलकर सरकार बनाई। उस वक्त मुख्यमंत्री बनीं मायावती और यहीं से राजा भैया के लिए शुरू हुआ सबसे कठिन दौर। झांसी के पूर्व विधायक पूरन सिंह बुंदेला के अपहरण के आरोप में राजा भैया को गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून (पोटा) तक लगा दिया गया। करीब ढाई साल तक जेल में रहने के बाद आखिरकार उन्हें राहत मिली और पोटा हटा लिया गया।

इस दौरान उनकी पुश्तैनी बेंती कोठी पर छापेमारी भी हुई, मीडिया रिपोर्ट्स और अफवाहों में यहां तक कहा गया कि उनके आंगन में बने एक पुराने तालाब से नरकंकाल और हथियार बरामद हुए हैं, यही तालाब आज भी कई रहस्यमयी किस्सों और कहानियों का केंद्र बना हुआ है, इस रहस्यमय तालाब को लेकर कई किस्से-कहानियां भी जुड़ी हैं। इस तरह की अफवाहें भी है कि तालाब में मगरमच्छ रखे गए हैं और राजा भैया अपने दुश्मनों को मौत देने के लिए इसी तालाब में डाल देते हैं, कहते हैं एक बार पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर से मिलने राजा भैया पहुंचे हुए थे, उसी दौरान लालू प्रसाद यादव भी वहां पहुंच गए, रघुराज प्रताप को लालू यादव से मिलवाया गया और फिर राजा भैया वहां से बाहर निकल गए तब लालू यादव ने चन्द्रशेखर से पूछा कि क्या ये वही राजा भैया हैं जो अपने आंगन के तालाब में मगरमच्छ पालते हैं, चन्द्रशेखर ने भी राजा भैया को वापिस अंदर बुलवा लिया और लालू यादव ने अपने ही अंदाज से राजा भैया ये सवाल पूछ लिया। ‘क्यों जी ई मगरमछवा सही में पाले हैं?’ ये सवाल सुनते ही राजा भैया हंस पड़े। राजनीति का ये किस्सा बेशक एक मज़ाक हो लेकिन इस तरह के विवादित सवालों में अक्सर राजा भैया घिर ही जाते हैं।