प्रतीकात्मक चित्र।
भोपाल। साल 2024 को आए अभी तीन महीने ही हुए हैं लेकिन अभी तक वॉयस क्लोनिंग के जरिए 14 लाख रुपए की ठगी के कुल 43 मामले सामने आए। साइबर अपराधियों के काम करने के तरीके को समझने में जिला साइबर क्राइम सेल को इतना समय लग गया, जो हाल ही में किसी व्यक्ति का रूप धारण करके और उसके परिजनों से उनकी मेहनत की कमाई ठगकर मोटी रकम कमा रहे हैं।
जिला साइबर अपराध प्रकोष्ठ के वरिष्ठ अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि साइबर अपराधी हाल ही में कई लोगों को फर्जी या ब्लैंक फोन कॉल करके उनकी आवाज के नमूने कलेक्ट कर रहे हैं। इसके बाद, वे व्यक्ति की आवाज की नकल करने के लिए कई AI-आधारित वॉयस क्लोनिंग ऐप के माध्यम से उस व्यक्ति की आवाज को प्रोसेस करते हैं।
एक बार ऐसा करने के बाद, बदमाश उस व्यक्ति के परिजनों के साथ चालाकी से खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं, जिसकी आवाज को उन्होंने AI का उपयोग करके प्रोसेस किया है। इस बीच, भोपाल साइबर क्राइम सेल की ऐसे मामलों में आरोपियों को पकड़ने में सफलता दर शून्य है। अधिकारियों ने कहा कि वे आरोपियों का पता लगाने के अपने प्रयासों में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि शहर के लोग, जिन्हें एआई वॉयस क्लोनिंग ऐप द्वारा ठगा गया है, अभी भी अविश्वास और सदमे में हैं, और अभी भी यह समझने में सक्षम नहीं हैं कि कोई उनके रिश्तेदारों की आवाज़ की नकल कैसे कर सकता है और उनके पैसे कैसे ठग सकता है। आलम ये है कि जिला साइबर सेल की फोरेंसिक प्रयोगशाला में वॉयस क्लोनिंग धोखाधड़ी के मामलों की जांच में कोई उपकरण उपयोगी नहीं है।