मंत्री नंदी के ‘समर्थक’ कमल उर्फ लाला का नया वीडियो वायरल, पुलिस ने दबोचा फिर भी बिना FIR छोड़ा!

प्रयागराज में दबंगों

प्रयागराज में दबंगई का एक और मामला सुर्खियों में है। कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता ‘नंदी’ का समर्थक बताने वाला कमलेश गुप्ता उर्फ लाला का नया वीडियो सामने आया है, जिसमें पुलिस उसे काबू में करती दिख रही है। 55 सेकंड के इस वीडियो में कमल पुलिस की पकड़ से छूटने की कोशिश करता नजर आता है, गुत्थम-गुत्था करता है, लेकिन एक सिपाही उसे जोर से जमीन पर पटक देता है। दो पुलिसकर्मी मिलकर उसे दबोच लेते हैं और गाड़ी में बैठाकर कोतवाली ले जाते हैं।हालांकि चौंकाने वाली बात यह है कि इतने हंगामे के बाद पुलिस ने बिना FIR दर्ज किए सभी आरोपियों को छोड़ दिया। पहले वायरल वीडियो में कमल और उसके साथी सिपाही-दरोगा को पीटते दिख रहे थे।

घटना शुक्रवार देर रात चंद्रलोक चौराहे की है – जो व्यापारियों का प्रमुख इलाका है और मंत्री नंदी का घर महज 200 मीटर दूर है। मुट्ठीगंज निवासी कमलेश गुप्ता उर्फ लाला प्रॉपर्टी डीलिंग करता है और खुद को नंदी का करीबी समर्थक बताता है। कुछ लोग उसे मंत्री का मौसेरा भाई भी कहते हैं, लेकिन मंत्री परिवार की ओर से इसकी पुष्टि नहीं हुई।देर रात कमल की कार दूसरी गाड़ी से टकराई। कहासुनी हुई तो दूसरी पक्ष ने डायल 112 किया। पुलिस पहुंची तो कमल ने बदसलूकी की। चौकी प्रभारी बहादुरगंज विवेक कुमार आए तो उनसे भी झगड़ा हो गया। कमल ने धमकी दी – “बेटा, मंत्री जी तुम्हारी खबर लेंगे।” गाड़ियां जब्त करने पर हंगामा बढ़ गया।

खबर फैलते ही कमल के समर्थक सड़क पर उतर आए। लोकनाथ से सुलाकी चौराहे तक भारी भीड़ जुट गई। कोतवाली, मुट्ठीगंज, कीडगंज, करेली, सिविल लाइंस, नैनी समेत 6 थानों की फोर्स पहुंची। लाठी फटकारकर भीड़ भगाई गई। कमल और 14 अन्य को थाने लाया गया। साढ़े तीन घंटे पंचायत चली और बिना कार्रवाई सभी छोड़ दिए गए।

पहले वीडियो में भीड़ चिल्ला रही थी – “वीडियो बनाओ, पुलिस गलत कर रही है, चेन लूट ली!” पुलिसकर्मी सफाई देते दिखे, लेकिन फिर थप्पड़ और मारपीट शुरू हो गई। भीड़ ने कहा – “मंत्री जी तुम्हारी खबर लेंगे।”

मंत्री नंदी के प्रवक्ता बालाजी केसरवानी ने साफ किया – मंत्री जी किसी गलत काम का समर्थन नहीं करते, चाहे समर्थक हो या रिश्तेदार।

यह मामला राजनीतिक रसूख और दबंगई की हद दिखाता है। पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़े हंगामे के बाद भी FIR क्यों नहीं हुई?

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