1 अक्टूबर 2025 से यूपीआई में केवल पुश-बेस्ड पेमेंट को ही मान्यता दी जाएगी। इसका मतलब है कि पैसे ट्रांसफर करने के लिए QR कोड, मोबाइल नंबर या यूपीआई आईडी का इस्तेमाल करना होगा। इसी के साथ कलेक्ट रिक्वेस्ट सुविधा पूरी तरह बंद कर दी गई है। NPCI के मुताबिक, कई मामलों में यह सुविधा धोखाधड़ी के लिए दुरुपयोग हो रही थी।
ट्रांजैक्शन लिमिट में बदलाव
- नए नियमों के तहत उच्च मूल्य के ट्रांजैक्शन को आसान बनाने के लिए कई सेक्टर्स में प्रति-ट्रांजैक्शन और दैनिक सीमा बढ़ा दी गई है:
- कैपिटल मार्केट और इंश्योरेंस: पहले ₹2 लाख, अब ₹5 लाख प्रति ट्रांजैक्शन; रोजाना ₹10 लाख तक।
- सरकारी ई-मार्केटप्लेस और टैक्स पेमेंट्स: पहले ₹1 लाख, अब ₹5 लाख प्रति ट्रांजैक्शन।
- ट्रैवल टिकट बुकिंग: ₹5 लाख प्रति ट्रांजैक्शन, रोजाना ₹10 लाख।
- क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट: ₹5 लाख प्रति ट्रांजैक्शन, रोजाना ₹6 लाख।
सुरक्षा और धोखाधड़ी रोकने के उपाय
ऑटोपेमेंट (जैसे सब्सक्रिप्शन या बिल) अब नॉन-पीक ऑवर्स में ही प्रोसेस होंगे, ताकि सर्वर लोड कम हो और ट्रांजैक्शन सुचारू रूप से पूरा हो। NPCI का कहना है कि बदलावों का उद्देश्य सिस्टम पर अनावश्यक दबाव कम करना और धोखाधड़ी पर नियंत्रण रखना है।
बैलेंस और पेंडिंग चेक पर सीमाएं
- किसी भी यूपीआई ऐप पर दिन में केवल 50 बार बैंक बैलेंस चेक किया जा सकेगा।
- पेंडिंग ट्रांजैक्शन स्टेटस केवल 3 बार देखा जा सकेगा, और हर चेक के बीच कम से कम 90 सेकंड का अंतराल रखना अनिवार्य होगा।
यूजर्स के लिए फायदे
इन बदलावों से यूपीआई का उपयोग बड़ी राशि के भुगतान में आसान और सुरक्षित हो जाएगा। साथ ही, सिस्टम की दक्षता और गति में सुधार होगा और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।