उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा है कि अब प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ का गायन अनिवार्य रूप से किया जाएगा। इस संबंध में राज्य सरकार ने आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं और सभी स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों को निर्देशित किया गया है कि प्रतिदिन निर्धारित समय पर वंदे मातरम का सामूहिक गायन कराया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य छात्रों में राष्ट्रीय एकता, देशभक्ति और सामाजिक सौहार्द की भावना को और अधिक सशक्त करना है।
सीएम योगी ने दिया एकता और भाईचारे का संदेश
योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय गीत केवल कुछ पंक्तियाँ नहीं, बल्कि यह भारत माता के प्रति हमारी श्रद्धा, सम्मान और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम” एक ऐसा मंत्र है जो देश के प्रति प्रेम, ऊर्जा और संकल्प का संचार करता है। जब छात्र-छात्राएँ इसे सामूहिक रूप से गाएंगे, तो उनके भीतर देशभक्ति की भावना और गहरी होगी तथा समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वंदे मातरम को इतनी ऊँची और गर्वपूर्ण आवाज़ में गाया जाए कि आस-पास के लोग भी इसे सुन सकें और प्रेरित हों।
सामाजिक और सरकारी स्तर पर विरोध
मुख्यमंत्री ने अपने वक्तव्य में यह भी स्पष्ट किया कि कुछ असामाजिक तत्व देश की एकता और अखंडता को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। ऐसे तत्वों की पहचान कर सामाजिक और सरकारी स्तर पर उनका विरोध आवश्यक है, ताकि वे देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम न दे सकें। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का गायन ऐसी देशविरोधी मानसिकता के खिलाफ एक सशक्त उत्तर है, जो नागरिकों को अपने राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों और अधिकारों की याद दिलाता है।
वंदे मातरम केवल एक शब्द नहीं- योगी
योगी आदित्यनाथ ने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कहते हैं कि “वंदे मातरम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक ऊर्जा, एक प्रेरणा और एक संकल्प है।” इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे सभी शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य किया है। सरकार का मानना है कि इस निर्णय से न केवल विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना प्रबल होगी, बल्कि शिक्षण संस्थानों का वातावरण भी अधिक अनुशासित और प्रेरणादायक बनेगा। यह कदम राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक गर्व और सामाजिक सद्भाव की दिशा में एक सशक्त पहल साबित होगा।


