उत्तर प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक वृद्धि करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि इस बदलाव से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता मिलेगी और परियोजनाओं की प्रक्रिया में तेजी आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुधार वित्तीय अनुशासन के साथ प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने में सहायक होगा।
लोक निर्माण विभाग की हुई बैठक
लोक निर्माण विभाग की बैठक में यह तथ्य सामने आया कि अधिकारियों के वित्तीय अधिकार 1995 में निर्धारित किए गए थे, जबकि निर्माण कार्यों की लागत में इस दौरान पांच गुना से अधिक वृद्धि हो चुकी है। कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के अनुसार, 1995 की तुलना में 2025 तक लगभग 5.52 गुना वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण आवश्यक है ताकि निर्णय प्रक्रिया में तेजी आए और परियोजनाओं का कार्य समयबद्ध तरीके से पूरा हो सके।
मुख्यमंत्री ने दी सभी कार्यों के संचालन की अनुमति
मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार, मुख्य अभियंता अब ₹2 करोड़ की बजाय ₹10 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति दे सकेंगे। अधीक्षण अभियंता के वित्तीय अधिकार ₹40 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ किए गए हैं, जबकि अधिशासी अभियंता को ₹1 करोड़ से बढ़ाकर ₹5 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार मिलेगा। सहायक अभियंता को भी सीमित दायरे में टेंडर स्वीकृति और छोटे कार्यों के संचालन की अनुमति दी जाएगी।
विद्युत और यांत्रिक संवर्ग नए पद को किया सम्मिलित
बैठक में यह भी बताया गया कि विद्युत और यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद सम्मिलित किया गया है। इसके अलावा, मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या बढ़ाई गई है। सभी पदों पर पदोन्नति प्रक्रिया और वेतनमान को नियमावली में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।
राज्य की विकास परियोजनाओं का खास विभाग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं में एक प्रमुख विभाग है। इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना अत्यंत आवश्यक है। योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति व्यवस्था से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी। इस बदलाव से अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, परियोजनाओं की प्रक्रिया में तेजी आएगी और विकास कार्य समय पर पूरा होंगे।


