
उत्तर प्रदेश सरकार ने युवाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। राज्य सरकार की मुख्यमंत्री अप्रेंटिसशिप प्रोत्साहन योजना और अन्य कौशल विकास कार्यक्रमों के तहत करीब 52 हजार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर तैयार किए गए हैं। इस योजना का उद्देश्य युवाओं को सिर्फ डिग्री नहीं, बल्कि व्यावहारिक कौशल और काम का अनुभव दिलाकर उन्हें रोजगार योग्य बनाना है।
क्या है यह योजना
इस योजना के तहत युवाओं को उद्योगों, MSME इकाइयों, निजी कंपनियों, अस्पतालों, फैक्ट्रियों और सेवा क्षेत्रों में अप्रेंटिसशिप के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को वास्तविक कार्यस्थल पर काम करने का अनुभव मिलेगा, जिससे उन्हें स्थायी रोजगार मिलने की संभावना बढ़ेगी।
योजना की मुख्य विशेषताएं
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- राज्य में 52,000 से अधिक रोजगार अवसर तैयार
- अप्रेंटिसशिप के दौरान मासिक स्टाइपेंड की व्यवस्था
- उद्योगों और निजी क्षेत्र की भागीदारी
- ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को प्राथमिकता
- प्रशिक्षण के बाद नौकरी मिलने की संभावना
कौन उठा सकता है लाभ
इस योजना का लाभ वे युवा उठा सकते हैं:
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- जिनकी आयु 18 से 35 वर्ष के बीच है
- जिनके पास आईटीआई, डिप्लोमा, स्नातक या कौशल प्रमाणपत्र है
- जो बेरोजगार हैं और काम सीखने के इच्छुक हैं
- जिन्होंने उत्तर प्रदेश रोजगार/कौशल पोर्टल पर पंजीकरण कराया है
आर्थिक सहायता
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- अप्रेंटिसशिप के दौरान युवाओं को मासिक मानदेय (स्टाइपेंड) दिया जाएगा
- स्टाइपेंड का एक हिस्सा राज्य सरकार वहन करती है, जिससे नियोक्ताओं पर बोझ कम होता है
- इससे अधिक से अधिक उद्योग युवाओं को जोड़ने के लिए प्रेरित हो रहे हैं
योजना का महत्व
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- विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना:
- युवाओं में स्किल गैप को कम करेगी
- पढ़ाई और रोजगार के बीच की दूरी घटाएगी
- केवल सरकारी नौकरी पर निर्भरता कम करेगी
- निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाएगी
सरकारी उद्देश्य
राज्य सरकार का कहना है कि इस तरह की योजनाओं के माध्यम से युवाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना प्राथमिक लक्ष्य है, ताकि पलायन भी रोका जा सके।




