4 जून को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की IPL जीत का जश्न उस वक्त मातम में बदल गया, जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर आचानक भगदड़ मच गई। इस हादसे में 11 लोगों की जान चली गई और 33 से ज्यादा लोग घायल हो गए। क्रिकेट फैंस के लिए यह खुशी का पल एक दर्दनाक याद बनके रह गया।
हादसा उस समय हुआ जब स्टेडियम के बाहर लाखों फैंस अपने पसंदीदा खिलाड़ियों और IPL ट्रॉफी को देखने के लिए जमा हो गए। स्टेडियम में लगभग 35,000 लोगों की जगह थी, लेकिन बाहर करीब 3-4 लाख लोग पहुंच गए थे। भीड़ को काबू करने में नाकामी के चलते यह भगदड़ हुई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि लोग गेट की ओर तेजी से बढ़े, जिससे अफरा-तफरी मच गई और कई लोग दब गए।
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सरकार और प्रशासन ने क्या किया?
इस दुखद घटना के बाद कर्नाटक सरकार और प्रशासन ने तेजी से कदम उठाए:
पुलिस अफसरों पर कार्रवाई: बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद सहित कई बड़े अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया, क्योंकि वे भीड़ को संभालने में नाकाम रहे।
नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त: IPS ऑफिसर सीमांत कुमार सिंह को नया पुलिस कमिश्नर बनाया गया। उन्हें जांच और सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी दी गई।
न्यायिक जांच के आदेश: हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस माइकल डिकुन्हा की अगुवाई में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाया गया। यह आयोग 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगा।
मैजिस्ट्रियल जांच: इसके अलावा, 15 दिनों में रिपोर्ट देने के लिए एक अलग मैजिस्ट्रियल जांच भी शुरू की गई।
पीड़ितों के लिए मुआवजा: सरकार ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा और घायलों के लिए मुफ्त इलाज का ऐलान किया।

नेताओं ने क्या कहा?
इस हादसे पर नेताओं ने दुख जताया और कार्रवाई की बात कही:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: “बेंगलुरु में हुई भगदड़ बहुत दुखद है। मेरी संवेदनाएं पीड़ित परिवारों के साथ हैं। घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करता हूं।”
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया: “यह एक अप्रत्याशित हादसा है। सरकार और क्रिकेट एसोसिएशन ने जुलूस की व्यवस्था की थी, लेकिन इतनी बड़ी भीड़ की उम्मीद नहीं थी। पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।”
उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार: “हमें इस घटना का बहुत दुख है। RCB की जीत से फैंस भावुक थे और इतनी बड़ी भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया। पुलिस से बल प्रयोग करवाना भी ठीक नहीं था।”
महाकुंभ पर क्या बोले?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “महाकुंभ में भी भगदड़ हुई थी। ऐसी घटनाओं को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए।” कुछ लोगों ने इसे गलत समझा कि वे हादसे को हल्के में ले रहे हैं। लेकिन उन्होंने साफ किया कि उनका मतलब था कि ऐसी घटनाएं अनहोनी होती हैं, और इसका गंभीरता से कम करने से कोई लेना-देना नहीं था।
यूपी सरकार का शानदार उदाहरण
जहां बेंगलुरु का हादसा भीड़ प्रबंधन की कमियों को दिखाता है, वहीं उत्तर प्रदेश सरकार बड़े आयोजनों को संभालने में मिसाल बन चुकी है। यूपी में कुंभ मेला जैसे विशाल आयोजन होते हैं, जहां करोड़ों लोग आते हैं, लेकिन वहां बड़े हादसे नहीं होते। इसके पीछे यूपी सरकार की ये खास तैयारियां हैं:
पहले से प्लानिंग: महीनों पहले से कई विभागों के साथ मिलकर तैयारी की जाती है।
मजबूत इंतजाम: अस्थायी पुल, सड़कें और मेडिकल सुविधाएं तैयार की जाती हैं।
लाइव निगरानी: ड्रोन और CCTV से भीड़ पर नजर रखी जाती है।
साफ संदेश: लोगों को गाइड करने के लिए सही जानकारी दी जाती है।
यूपी सरकार की ये रणनीतियां दूसरों राज्यों के लिए एक सबक हैं कि सही प्लानिंग से बड़े आयोजनों को सुरक्षित बनाया जा सकता है।
बेंगलुरु का यह हादसा हमें बताता है कि बड़े आयोजनों में सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन कितना जरूरी है। कर्नाटक सरकार ने तुरंत कदम उठाए हैं, जैसे अफसरों को सस्पेंड करना और जांच शुरू करना, लेकिन यह घटना एक चेतावनी है। दूसरी ओर, यूपी सरकार का कुंभ मेला प्रबंधन दिखाता है कि सही तैयारी से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। अब जरूरत है कि जांच पूरी हो, पीड़ितों को न्याय मिले और भविष्य के लिए बेहतर इंतजाम हों।