चित्र : सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली, भारत।
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि आयुर्वेद के को-फाउंडर रामदेव और मैनेजमेंट डायरेक्टर बालकृष्ण पर कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कंपनी भ्रामक विज्ञापनों के जरिए निर्देशों का पालन करने में विफल रही हैं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि पतंजलि द्वारा जारी किए गए विज्ञापन देश के ‘कानून के दायरे नहीं’ हैं। कंपनी के को-फाउंडर रामदेव कार्रवाई के लिए तैयार रहें। बता दें कि न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पिछले महीने पतंजलि द्वारा मांगी गई माफ़ी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
इससे पहले की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इसी मामले में पतंजलि को फटकार लगाई थी। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, ‘हम आपकी माफ़ी से खुश नहीं हैं।’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आपको (पतंजलि) ये सुनिश्चित करना चाहिए था कि आपने जो गंभीर वचन दिया है, वह अक्षरशः सही हो। हम यह भी तो कह सकते हैं कि इसे स्वीकार न कर पाने के लिए खेद है। आपकी माफी इस कोर्ट को प्रभावित नहीं कर रही है। यह केवल मात्र दिखावटी वादा है।’
इसके बाद रामदेव के वकील ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण दोनों ही व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में माफी मांगने के लिए तैयार हैं। योग गुरु के वकील ने कोर्ट से हाथ जोड़कर कहा, ‘हम माफी मांगना चाहते हैं और कोर्ट जो भी कहेगा, हम उसके लिए तैयार हैं।’ इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई न करने के लिए केंद्र की खिंचाई की और कहा कि वे अपनी आंखें बंद करके बैठे हैं।
पीठ ने कहा, ‘हमें आश्चर्य है कि सरकार ने अपनी आंखें बंद क्यों रखीं।’ सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 अप्रैल को अदालत में उपस्थित रहने को भी कहा है। शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को कंपनी को निर्देश दिया था कि वह भ्रामक जानकारी देने वाली अपनी दवाओं के सभी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट विज्ञापनों को तत्काल प्रभाव से बंद करे।
बता दें यह मामला पिछले वर्ष नवंबर में तब शुरू हुआ जब भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को अपनी दवाओं के बारे में विज्ञापनों में ‘झूठे’ और ‘भ्रामक’ दावे करने के खिलाफ चेतावनी दी थी।
IMA ने कई विज्ञापनों का हवाला दिया था, जिनमें कथित तौर पर एलोपैथी और डॉक्टरों को खराब रोशनी में पेश किया गया था। IMA ने उस वक्त कहा था कि आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन में लगी कंपनियों द्वारा भी आम जनता को गुमराह करने के लिए ‘अपमानजनक’ बयान दिए गए हैं। IMA के वकील ने कहा कि इन विज्ञापनों में कहा गया है कि आधुनिक दवाएं लेने के बावजूद डॉक्टर स्वयं मर रहे हैं।