SSP साहब, जान के बदले जान चाहिए…गोरखपुर के कॉलेज में बेटे की हत्या पर फूट-फूट रोई मां

जगह- गोरखपुर। समय- दोपहर के ठीक 1:30 बजे। कोऑपरेटिव इंटर कॉलेज का मैदान रोज की तरह चहल-पहल से भरा था। 11वीं का छात्र सुधीर दोस्तों के साथ खड़ा था। तभी गेट पर एक बाइक रुकती है। उससे चार बदमाश उतरते हैं। उनके चेहरों पर खामोशी थी। वे धीरे-धीरे सुधीर की तरफ बढ़ते हैं। अचानक तमंचा निकालते हैं और सुधीर को गोलियों से भून देते हैं। वह जमीन पर गिर जाता है।

यह देखकर उसके दोस्त चीखने लगते हैं। कॉलेज में भगदड़ जैसी स्थिति मच जाती है। छात्र बदमाशों की तरफ दौड़ते हैं। उन्हें अपनी ओर आता देख बदमाश तमंचा हवा में लहराते हुए फिल्मी अंदाज में बाइक स्टार्ट करते हैं और फरार हो जाते हैं।

घरवालों को खबर मिलती है। मां दौड़ती हुई आती है। बेटे की लाश देखकर मां बेहोश होकर गिर पड़ती है।
भीड़ गुस्से से उबल पड़ती है। आरोपी छोटू के घर पर हमला कर देती है। उसके घरवालों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटती है। पुलिस के पहुंचने तक हालात काबू से बाहर हो चुके थे। किसी तरह पुलिसवालों ने उनकी जान बचाई।

सुधीर का शव छोटू के घर के बाहर रख दिया गया। पूरा गांव, पूरा मोहल्ला एक ही आवाज में चिल्ला रहा था…इंसाफ चाहिए!
इसी भीड़ के बीच अचानक एक युवक पुलिस की जीप के आगे लेट जाता है। तभी SSP राजकरन नय्यर आते हैं। उन्हें देखकर छात्र की मां दौड़कर उनके पैरों में गिर जाती है। SSP घुटनों के बल बैठकर उन्हें उठाते हैं। मां कांपती आवाज में कहती हैं- “साहब… जान के बदले जान चाहिए…”

पुलिस शव को पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाती है। परिजन थाने पहुंचते हैं। अपनी आंखों के सामने FIR लिखवाते हैं, तब जाकर माहौल थोड़ा शांत होता है।

10:30 बजे पहला विवाद, फिर 1:30 बजे मर्डर
पुलिस ने जब छात्रों और गांव के लोगों से पूछताछ की, तब सामने आया कि मर्डर का घटनाक्रम 10:30 बजे से शुरू हो गया था। सुधीर भारती और आरोपी छात्र स्कूल के खेल के मैदान में इकट्ठा थे। उनके बीच कुछ विवाद हुआ। यह मामला मोबाइल के स्टेटस को लेकर था। स्टेटस पर क्या लिखा था, यह साफ नहीं हो सका है।

इसके बाद गांव के कुछ लोगों ने बीच-बचाव करके मामले को शांत कर दिया। मगर फिर 1:30 बजे एक बार आरोपी छात्र स्कूल कैंपस में इकट्ठा हुए और उन्होंने सुधीर पर हमला कर दिया। हमला करने के बाद आरोपी भाग निकले।

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