सपा का ‘आई लव अखिलेश’, कांग्रेस का ‘आई लव कॉन्स्टिट्यूशन’! कितनी घातक साबित होगी पोस्टर जंग की राजनीति?

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उत्तर प्रदेश में ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद अब पूरे देश में सियासी और सामाजिक बहस का मुद्दा बन गया है। यह विवाद सबसे पहले कानपुर के रावतपुर इलाके में बारावफात के मौके पर Muslim युवाओं द्वारा लगाए गए पोस्टर और बैनर से शुरू हुआ। इसके बाद हिंदू संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई और माहौल गरम गया। पुलिस ने इस मामले में 9 लोगों को नामजद और 15 अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।

राजनीतिक रंग और पोस्टर वॉर

बीजेपी ने इस विवाद के जवाब में कई जगहों पर ‘आई लव योगी आदित्यनाथ’ पोस्टर लगाए। पार्टी का कहना है कि यह धार्मिक भावनाओं की रक्षा और कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए किया गया।

सपा ने भी पोस्टर वॉर में कदम रखा। लखनऊ में सपा कार्यालय के बाहर ‘आई लव अखिलेश यादव’ और ‘आई लव शिक्षा, विकास और रोजगार’ के पोस्टर लगाए गए। इसमें खास ध्यान खींचने वाला पोस्टर था, जिसमें सामाजिक सौहार्द, समाजवादी पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए प्यार दर्शाया गया।

कांग्रेस ने भी इस पोस्टर जंग में एंट्री की। यूपी कांग्रेस कमेटी ने ‘आई लव कॉन्स्टिट्यूशन’ पोस्टर लगाए, जिसमें राहुल गांधी की तस्वीर हाथ में संविधान लिए हुए दिखाई गई। पार्टी का कहना है कि यह पोस्टर संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक सद्भाव की रक्षा का प्रतीक है।

देशभर में फैल रहा विवाद

कानपुर में शुरू हुआ विवाद धीरे-धीरे पूरे यूपी और देश के अन्य राज्यों तक फैल गया। उन्नाव, महाराजगंज, कौशांबी, लखनऊ, बरेली, नागपुर और काशीपुर जैसे शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए।

  • लखनऊ में मुस्लिम महिलाएं विधानसभा के बाहर बैनर लेकर बैठ गई।
  • बरेली में पुलिस और मुस्लिम नेता के बीच विवाद हुआ, जिसमें वीडियो वायरल भी हुआ।
  • नागपुर में मस्जिदों पर पोस्टर लगाए गए और जुलूस निकाले गए।
  • काशीपुर में बिना अनुमति जुलूस निकाले जाने के कारण पथराव और पुलिस-प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई।

पुलिस का कहना है कि कार्रवाई धर्म के आधार पर नहीं बल्कि कानून तोड़ने वालों पर की गई है।

मुस्लिम संगठनों और AIMIM का रुख

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ‘आई लव मोहम्मद’ कहना कोई अपराध नहीं है। अगर इसे अपराध माना जाएगा तो वे सजा भुगतने के लिए तैयार हैं। मौलाना तौकीर रजा और वर्ल्ड सूफी फोरम के अध्यक्ष हजरत सैयद मोहम्मद अशरफ ने भी पुलिस की कार्रवाई को गलत बताया। सोशल मीडिया पर भी यह ट्रेंड करने लगा और कई लोग इसे अपनी प्रोफाइल फोटो में इस्तेमाल कर रहे हैं।

कई स्तरों पर देखा जा सकता है ये विवाद

  1. धार्मिक और सांप्रदायिक पहलू – कुछ समुदाय इसे सम्मान और प्रेम का तरीका बता रहे हैं, जबकि अन्य इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ मान रहे हैं।
  2. राजनीतिक पहलू – बीजेपी, सपा और कांग्रेस ने इसे अपने राजनीतिक संदेश के लिए इस्तेमाल किया।
  3. कानूनी पहलू – पुलिस का कहना है कि पोस्टर लगाने और जुलूस निकालने के लिए तय जगहों और नियमों का पालन जरूरी है।

इस विवाद ने यह दिखाया कि धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे किस तरह से स्थानीय घटना से राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बन सकते हैं। कानपुर से शुरू हुआ ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद अब पूरे देश में सियासत और सामाजिक बहस का मुद्दा बन गया है। बीजेपी, सपा और कांग्रेस की पोस्टर जंग और देशभर में फैलते विरोध प्रदर्शन ने इसे केवल स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि राजनीतिक और सांप्रदायिक मुद्दा बना दिया है।

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