समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और घोसी विधानसभा सीट से विधायक सुधाकर सिंह का गुरुवार, 20 नवंबर को निधन हो गया। उनके अचानक चले जाने से सियासी हलकों में गहरा शोक है। निधन की खबर मिलते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अस्पताल पहुँचे और शोकग्रस्त परिवार को ढांढस बंधाया। नम आँखों से अखिलेश ने सुधाकर सिंह को अंतिम श्रद्धांजलि दी।
सोशल मीडिया पर भावुक संदेश
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “घोसी विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक श्री सुधाकर सिंह जी का निधन, अत्यंत दुःखद! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें. शोक संतप्त परिजनों को यह असीम दुःख सहने का संबल प्राप्त हो. भावभीनी श्रद्धांजलि!”
सुधाकर का राजनीतिक सफर
सुधाकर सिंह का राजनीतिक सफर लंबा रहा है, लेकिन वर्ष 2023 के घोसी उपचुनाव ने उन्हें प्रदेश की राजनीति में एक बड़े चेहरे के रूप में स्थापित कर दिया। इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के कद्दावर नेता दारा सिंह चौहान को बड़ी बढ़त से हराकर सबको चौंका दिया था। उपचुनाव में सुधाकर सिंह को 1,24,427 जबकि दारा सिंह चौहान को 81,668 वोट मिले थे। लगभग 40 हजार से अधिक वोटों के अंतर ने सुधाकर सिंह को ‘जाइंट किलर’ की श्रेणी में खड़ा कर दिया।
कैसे मिली थी सुधाकर सिंह को ऐतिहासिक जीत?
सियासी विश्लेषकों की मानें तो घोसी उपचुनाव में भाजपा के सारे जातीय समीकरण ध्वस्त हो गए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को करीब 86 हजार वोट मिले थे, लेकिन उपचुनाव में पार्टी उस आंकड़े को भी पार नहीं कर पाई। इसके उलट, सपा का पीडीए (पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक) फार्मूला पूरी तरह असरदार साबित हुआ।
अल्पसंख्यक समुदायों का वोट
दिलचस्प बात यह रही कि सपा ने इस सीट पर ठाकुर समुदाय से आने वाले प्रत्याशी को उतारा, फिर भी उन्हें भारी संख्या में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों का वोट मिला। सियासी पंडितों का मानना है कि स्थानीय मुद्दों, भाजपा के खिलाफ असंतोष और सपा के सामाजिक समीकरणों की सक्रिय रणनीति ने मिलकर यह परिणाम दिया। सुधाकर सिंह की यह जीत न सिर्फ सपा के लिए बड़ी उपलब्धि साबित हुई, बल्कि 2024 के राजनीतिक परिदृश्य में भी पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाली रही। उनकी कार्यशैली, सहज स्वभाव और जनता के बीच मजबूत पकड़ उन्हें घोसी क्षेत्र का लोकप्रिय नेता बनाती थी।


