उत्तर प्रदेश के संभल जिले में वर्ष 2018 की एक दिल दहला देने वाली वारदात में आखिरकार इंसाफ मिला है। विशेष पोक्सो कोर्ट ने महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसे जिंदा जलाने के चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। प्रत्येक आरोपी पर 1 लाख 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
2018 की रात की वीभत्स घटना
13 जुलाई 2018 की रात रजपुरा थाना क्षेत्र के पाठकपुर गांव में एक 25 वर्षीय महिला अपने पति की अनुपस्थिति में सात साल की बेटी के साथ घर पर थी। पति दिल्ली में मजदूरी कर रहे थे। रात करीब ढाई बजे पांच आरोपी घर में घुस आए। उन्होंने मासूम बेटी के सामने महिला के साथ बारी-बारी सामूहिक दुष्कर्म किया। वारदात के बाद धमकी देकर चले गए।
बदहवास महिला ने ममेरे भाई को फोन किया और रोते हुए पूरी आपबीती सुनाई तथा आरोपियों के नाम बताए। लेकिन मदद पहुंचने से पहले आरोपी दोबारा लौट आए। उन्होंने महिला को घसीटकर घर से करीब 20 मीटर दूर मंदिर के हवनकुंड में ले जाकर घास-फूस डालकर जिंदा जला दिया।
मुख्य सबूतों ने पलटा केस
लंबी जांच और फास्ट ट्रैक कोर्ट में चली सुनवाई में तीन अहम सबूतों ने बचाव पक्ष के ‘झूठा मुकदमा’ के दावों को खारिज कर दिया:
- सात साल की बेटी की आंखों देखी गवाही, जिसने मां को जलते देखा।
- महिला की ममेरे भाई से अंतिम फोन बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग, जिसमें उसने आरोपियों के नाम बताए।
- फॉरेंसिक रिपोर्ट में आरोपियों के कपड़ों पर वीर्य (सीमेन) के धब्बे मिले।
पुलिस ने घटनास्थल से जले अवशेष और महिला का कीपैड मोबाइल बरामद कर फॉरेंसिक जांच कराई। घटना के समय तत्कालीन एसपी को पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निलंबित कर दिया था, जिससे जांच में तेजी आई।
कोर्ट ने सुनाई सजा
विशेष न्यायाधीश अवधेश कुमार सिंह की पोक्सो कोर्ट ने आराम सिंह, महावीर, भोना उर्फ कुंवरपाल और जयवीर उर्फ गुल्लू को दोषी ठहराया। पांचवां आरोपी नाबालिग होने से उसका केस अलग चल रहा है। दोषी पुलिस कस्टडी में ले जाते समय इसे साजिश बताते रहे।
पीड़ित परिवार ने फैसले का स्वागत किया, हालांकि फांसी की मांग की थी। उन्होंने उम्रकैद को सम्मानजनक बताया। साढ़े सात साल की कानूनी लड़ाई के बाद मिला यह इंसाफ महिला और उसकी बेटी की बहादुरी का प्रतीक है।




