रथ यात्रा 2025: आस्था, संस्कृति और एकता का पर्व

भारतवर्ष की धार्मिक परंपराएं सदियों से लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं। इन्हीं में से एक अत्यंत पावन उत्सव है पुरी की रथ यात्रा, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह पर्व हर वर्ष ओडिशा के पुरी नगर में भव्यता के साथ मनाया जाता है और इसमें लाखों श्रद्धालु सम्मिलित होते हैं।

  • रथ यात्रा का इतिहास और महत्व

पुरी की रथ यात्रा का संबंध भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण से है, जिन्हें यहाँ जगन्नाथ के रूप में पूजा जाता है। इस उत्सव में भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा को भव्य रथों पर बैठाकर पुरी के मुख्य मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। मान्यता है कि भगवान एक बार वर्ष में अपनी मौसी के घर (गुंडिचा मंदिर) दर्शन देने जाते हैं।

यह यात्रा केवल धार्मिक भावना का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह मानवता और समानता का प्रतीक भी है। इस उत्सव में सभी वर्ग, जाति और समुदाय के लोग एक साथ मिलकर रथ खींचते हैं। रथ खींचना पुण्य का कार्य माना जाता है और इसे करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं, ऐसी मान्यता है।

The religious traditions of India have been an integral part of the lives of people for centuries. One of these very sacred festivals is the Rath Yatra of Puri, which is considered extremely important not only from a religious point of view, but also from a cultural and social point of view
  • रथ यात्रा की विशेषताएं

रथ यात्रा में तीन विशाल और भव्य रथ तैयार किए जाते हैं, जिनका निर्माण परंपरागत रूप से विशेष प्रकार की लकड़ी से किया जाता है। यह कार्य सैकड़ों कारीगरों की सहायता से कई महीनों में पूर्ण होता है।

भगवान जगन्नाथ का रथ – “नंदीघोष”
इस रथ में 16 पहिए होते हैं और यह लाल-पीले रंग में सजाया जाता है। इसकी ऊँचाई लगभग 45 फीट होती है।

बलभद्र जी का रथ – “तालध्वज”
यह रथ हरे और नीले रंग का होता है और इसमें 14 पहिए होते हैं।

सुभद्रा जी का रथ – “दर्पदलन”
यह रथ काले और लाल रंग का होता है और इसमें 12 पहिए होते हैं।

इन रथों को भक्तजन रस्सियों से खींचते हैं और “जय जगन्नाथ” के जयकारों से आकाश गूंज उठता है।

  • सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान

रथ यात्रा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण भी है। यह उत्सव लोगों को एक साथ जोड़ता है, सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है और सेवा, समर्पण तथा एकता के मूल्यों को मजबूत करता है।

भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में भी रथ यात्रा का आयोजन होता है, जैसे – अमेरिका, यूके, रूस, और ऑस्ट्रेलिया आदि। यह भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।

  • रथ यात्रा 2025 की विशेष तैयारी

वर्ष 2025 की रथ यात्रा के लिए पुरी नगर में विशेष तैयारियां की जा रही हैं। सुरक्षा, यातायात, स्वास्थ्य और जल व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में सरकार और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर कार्य कर रही हैं। डिजिटल तकनीक के माध्यम से इस बार देश-दुनिया के कोने-कोने से लोग ऑनलाइन दर्शन का लाभ भी उठा सकेंगे। रथ यात्रा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह जीवन के गहरे मूल्यों– समानता, सेवा, भक्ति और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह उत्सव हमें यह सिखाता है कि जब हम भेदभाव छोड़कर एक साथ खड़े होते हैं, तो ईश्वर भी हमारे साथ होते हैं। रथ यात्रा 2025 में भी यही संदेश लेकर आ रही है– एकता में शक्ति है और भक्ति में परम आनंद।

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