राहुल गांधी समेत सोनिया-प्रियंका को नोटिस, ‘इंडियन स्टेट’ बयान पर लखनऊ कोर्ट सख्त!

राहुल गांधी समेत सोनिया–प्रियंका को नोटिस

नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के एक बयान को लेकर लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने राहुल गांधी के साथ-साथ सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को नोटिस जारी करते हुए 5 जनवरी 2026 तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

यह नोटिस राहुल गांधी द्वारा दिए गए उस बयान को लेकर जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि “हम बीजेपी, आरएसएस और इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं।” इस बयान को राष्ट्रविरोधी बताते हुए लखनऊ कोर्ट में परिवाद दाखिल किया गया था।

एमपी-एमएलए कोर्ट में दर्ज हुआ परिवाद

यह मामला लखनऊ के हजरतगंज थाने से संबंधित है। परिवाद की सुनवाई एसीजेएम तृतीय/एमपी-एमएलए विशेष कोर्ट में हुई। परिवाद अधिवक्ता नृपेन्द्र पांडेय की ओर से बीएनएसएस की धारा 210 के तहत दाखिल किया गया है।
प्रारंभिक सुनवाई के बाद अदालत ने सभी आरोपितों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।

यह तस्वीर परिवादी नृपेन्द्र पांडेय की है। उन्होंने राहुल गांधी पर देशद्रोह का आरोप लगाया है।

राहुल गांधी के बयान को बताया राष्ट्र और संविधान के खिलाफ

परिवाद के अनुसार, 15 जनवरी 2025 को नई दिल्ली स्थित कांग्रेस के नवनिर्मित मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ के उद्घाटन कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा था-

“We are now fighting the BJP, the RSS and the Indian State itself.”

परिवादी का दावा है कि यह बयान भारत राष्ट्र और उसकी संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध है और इसे जानबूझकर, सोच-समझकर दिया गया।

‘इंडियन स्टेट’ की व्याख्या बनी विवाद की जड़

परिवाद में कहा गया है कि ‘इंडियन स्टेट’ का अर्थ केवल सत्ताधारी दल नहीं, बल्कि भारत की संसद, न्यायपालिका, कार्यपालिका और पूरी संवैधानिक व्यवस्था से है।ऐसे में ‘इंडियन स्टेट’ के खिलाफ लड़ने की बात करना भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ है, जो राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है।

कांग्रेस के अन्य नेताओं पर भी आरोप

परिवाद में यह भी कहा गया है कि कार्यक्रम के दौरान मौजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता—

  • मल्लिकार्जुन खड़गे
  • सोनिया गांधी
  • के.सी. वेणुगोपाल
  • प्रियंका गांधी वाड्रा
  • जयराम रमेश

में से किसी ने भी राहुल गांधी के बयान का विरोध या खंडन नहीं किया। इससे यह संकेत मिलता है कि बयान सामूहिक सहमति से दिया गया।

देश को अस्थिर करने की साजिश का आरोप

परिवादी नृपेन्द्र पांडेय ने अदालत में दलील दी कि राहुल गांधी और उनके सहयोगी लगातार संवैधानिक संस्थाओं पर सवाल उठाकर युवाओं और आम जनता में भ्रम और असंतोष फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे देश की स्थिरता और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंच सकता है।

अगली सुनवाई 5 जनवरी 2026 को

एमपी-एमएलए कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए 5 जनवरी 2026 को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई में अदालत यह तय करेगी कि मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई किस दिशा में बढ़ेगी।

राहुल गांधी के खिलाफ यूपी में पहले से चल रहे मामले

सुल्तानपुर मानहानि केस (2018):
बीजेपी नेता विजय मिश्रा द्वारा दायर मानहानि मामले की सुनवाई दीवानी न्यायालय में चल रही है।

वीर सावरकर बयान मामला (लखनऊ):
विवादित बयान को लेकर दर्ज केस में राहुल गांधी पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। उन्हें 14 अप्रैल को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया था, लेकिन वे पेश नहीं हुए।

हाथरस मानहानि मामला:
हाथरस की एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे केस में आरोप है कि राहुल गांधी ने बूलगढ़ी गांव मामले में अदालत से बरी युवकों को गलत तरीके से आरोपी बताया।

लखनऊ कोर्ट के नोटिस के बाद राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व की कानूनी मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। अब सभी की नजरें 5 जनवरी 2026 को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि इस विवादित बयान पर आगे क्या कानूनी कार्रवाई होगी।


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