प्रयागराज में खुद को मंत्री का समर्थक बता प्रॉपर्टी डीलर ने दरोगा-सिपाही से की मारपीट, FIR के बिना छोड़ा गया!

प्रॉपर्टी डीलर ने दरोगा-सिपाही

शहर के चंद्रलोक चौराहे पर शुक्रवार रात एक प्रॉपर्टी डीलर ने खुद को कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल ‘नंदी’ का समर्थक बताते हुए दरोगा और सिपाही से मारपीट की और उन्हें धमकाया। घटना उस समय हुई, जब कमलेश गुप्ता उर्फ लाला की कार किसी अन्य वाहन से टकरा गई। दोनों पक्षों में कार की टक्कर को लेकर कहासुनी हुई, जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामला शांत कराने की कोशिश की। हालांकि, कमलेश गुप्ता और उसके समर्थक पुलिस से भिड़ गए। उन्होंने बहस की और हाथ उठाया। इस दौरान कई अन्य लोग भीड़ में शामिल हो गए। सामने आए 1 मिनट 20 सेकेंड के वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग सिपाही का कॉलर पकड़कर उसे छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दरोगा बीच-बचाव कर रहे हैं। दबंगों ने दोनों पुलिसकर्मियों को थप्पड़ मारे और हंगामा फैल गया।

पुलिस अधिकारियों ने 6 थानों की फोर्स मौके पर भेजी और 15 लोगों को हिरासत में लिया। सभी को कोतवाली ले जाया गया, जहां साढ़े तीन घंटे पंचायत हुई। इसके बावजूद किसी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई। घटना स्थल मंत्री नंदी के घर से केवल 200 मीटर की दूरी पर है।

प्रॉपर्टी डीलर ने दरोगा-सिपाही

कमलेश गुप्ता मुट्ठीगंज का रहने वाला है और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है। वह खुद को भाजपा नेता और मंत्री नंदी का समर्थक बताता है। कुछ लोग इसे मंत्री का मौसेरा भाई भी बताते हैं, हालांकि मंत्री के परिवार की ओर से इसका कोई समर्थन नहीं है।

स्थानीय लोगों के अनुसार, पुलिस और भीड़ के बीच मारपीट के दौरान कई लोग सड़क पर उतर आए और लाठी-डंडों की आवाजें सुनाई दीं। पुलिस ने 6 थानों की फोर्स के साथ स्थिति को नियंत्रण में किया।

प्रॉपर्टी डीलर ने दरोगा-सिपाही

मंत्री नंदगोपाल नंदी के प्रवक्ता बालाजी केसरवानी ने स्पष्ट किया कि मंत्री किसी भी गलत काम का समर्थन नहीं करते, चाहे वह उनके समर्थक हों या रिश्तेदार। ACP कोतवाली रवि गुप्ता ने बताया कि आरोपी कमलेश गुप्ता सड़क पर झगड़ा कर रहा था और पुलिस के पहुंचने पर हंगामा करता रहा। चौकी प्रभारी बहादुरगंज के विवेक कुमार के आने पर भी आरोपी और उसके समर्थक ने मारपीट जारी रखी।

यह घटना स्थानीय प्रशासन और कानून व्यवस्था की चुनौती को उजागर करती है। पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया, लेकिन FIR दर्ज न करने से न्यायिक प्रक्रिया और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं।

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