Lucknow Political Update: राजनीती में बही उलटी गंगा! मायावती ने की योगी सरकार की तारीफ और सपा पर साधा निशाना

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लखनऊ में 9 अक्टूबर को राजनीति का अनोखा नजारा देखने को मिला। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने कांशीराम जयंती के मौके पर आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की खुले मंच से तारीफ की। यह पहली बार था जब मायावती ने सार्वजनिक रूप से बीजेपी सरकार के किसी कदम की सराहना की।

मायावती ने लिखा सीएम योगी को पत्र

मायावती ने अपने संबोधन में कहा कि जब समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी, तब कांशीराम स्मारक स्थल की हालत बेहद खराब थी। उस समय स्मारक से मिलने वाले टिकटों की आय का सही इस्तेमाल नहीं किया गया। रखरखाव के नाम पर कुछ भी काम नहीं हुआ और पूरा परिसर जर्जर हो गया था। मायावती ने बताया कि उन्होंने जब यह स्थिति देखी, तो बीजेपी सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा और अनुरोध किया कि स्मारक की देखरेख के लिए प्राप्त धनराशि उसी पर खर्च की जाए।

योगी सरकार का सकारात्मक कदम

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि योगी सरकार ने इस पर सकारात्मक कदम उठाया और वह पैसा वास्तव में कांशीराम स्मारक स्थल के रखरखाव में लगाया गया। अब यह स्थल पहले से काफी बेहतर स्थिति में है। मायावती ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा कि “जब कोई सरकार अच्छा काम करती है तो उसकी तारीफ होनी चाहिए।”

समाजवादी पार्टी पर कड़ा प्रहार

हालांकि, मायावती ने इस दौरान समाजवादी पार्टी पर कड़ा प्रहार भी किया। उन्होंने कहा कि सपा आज कांशीराम के नाम पर संगोष्ठी की बात कर रही है, लेकिन जब उसकी सरकार थी तब उन्हें कांशीराम की याद नहीं आई। उन्होंने सवाल उठाया कि जब उन्होंने कासगंज जिले का नाम बदलकर कांशीराम नगर किया था, तो अखिलेश यादव की सरकार ने उसे दोबारा क्यों बदल दिया?

दोहरा चेहरे के जैसा है सपा

मायावती ने सपा को “दोहरा चेहरा” दिखाने वाला दल बताया और कहा कि उनका काम केवल बहुजन समाज के नाम पर राजनीति करना है, जबकि वे वास्तव में कांशीराम के सिद्धांतों से दूर हैं।

हजारों की संख्या में बसपा कार्यकर्ता और समर्थक

कांशीराम जयंती के मौके पर लखनऊ के कांशीराम स्मारक स्थल में आयोजित समारोह में हजारों की संख्या में बसपा कार्यकर्ता और समर्थक पहुंचे। मंच पर मायावती के साथ कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। उनके इस बयान ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है, क्योंकि इसे सियासी समीकरणों में संभावित बदलाव के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

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