उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम की सफाई व्यवस्था पर बड़ा सवाल उठा है। आउटसोर्सिंग कंपनियों के माध्यम से काम करने वाले हजारों सफाई कर्मियों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की मौजूदगी की आशंका के बाद पुलिस सत्यापन का अभियान शुरू हो गया है। यह मामला तब जोर पकड़ा जब भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने अक्टूबर में एक वीडियो जारी कर सफाई कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
पूर्व डीजीपी बृजलाल ने मॉर्निंग वॉक के दौरान कुछ सफाई कर्मियों का वीडियो बनाया और दावा किया कि ये लोग बांग्लादेशी हैं। उन्होंने कहा कि राजधानी में सैकड़ों अवैध प्रवासी घुस आए हैं, जो चौराहों पर भीख मांगते या गुब्बारे बेचते नजर आते हैं। नगर निगम ने इन्हें आईडी देकर स्थानीय निवासी बना दिया है और ये झोपड़ियों में रहते हैं। बृजलाल ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और आतंकी संगठनों से जुड़ाव का भी जिक्र किया।
इसके बाद मामला तूल पकड़ा और नगर निगम प्रशासन हरकत में आया। नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने सभी जोनल अधिकारियों को निर्देश दिए कि कार्यदायी संस्थाओं के सभी सफाई कर्मियों का पुलिस वेरिफिकेशन कराया जाए। संबंधित थानों और पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गई है।
क्या होगी कार्रवाई?
- अगर कोई कर्मचारी बांग्लादेशी या रोहिंग्या पाया गया तो उसे तुरंत काम से हटाया जाएगा।
- संबंधित ठेकेदार या कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।
- जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।
पिछले साल इंदिरानगर क्षेत्र में भी इसी तरह का विवाद हुआ था, जहां मेयर सुषमा खर्कवाल ने जांच का वादा किया लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर घुसपैठियों की पहचान अभियान चल रहा है, जिसमें एटीएस भी सक्रिय है।
बढ़ती चिंता और आगे की योजना
नगर निगम में सफाई का जिम्मा मुख्य रूप से निजी कंपनियों के पास है, जो कम मजदूरी पर बाहर से मजदूर लाती हैं। अधिकारियों का कहना है कि स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा और सुरक्षा के मद्देनजर यह सत्यापन जरूरी है। ग्रामीणों और नागरिकों से भी अपील की गई है कि घरेलू काम या दुकानों पर किसी को नियुक्त करने से पहले पहचान जांच जरूर करें।




