घायल संजय सेतु: देवीपाटन मंडल की जीवनरेखा पर संकट, संजीव सिंह ने खोला बड़ा मोर्चा

लखनऊ :- देवीपाटन मंडल को आपस में जोड़ने वाला घाघरा नदी पर बना संजय सेतु आज खुद गंभीर बदहाली का शिकार है। गोण्डा, बहराइच और बलरामपुर जैसे अहम जिलों को जोड़ने वाला यह पुल न सिर्फ़ यातायात की रीढ़ है, बल्कि लाखों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी, व्यापार, इलाज और शिक्षा से सीधा जुड़ा हुआ है। लेकिन समय के साथ यह सेतु जर्जर हो चुका है, जिसके चलते आए दिन लंबे जाम लग रहे हैं और हादसों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। आम जनता की परेशानी अब इस कदर बढ़ चुकी है कि हर गुजरने वाला इस पुल को ‘घायल’ बताने लगा है।

इसी गंभीर और जनहित से जुड़े मुद्दे को लेकर अपना दल (एस) के राष्ट्रीय सचिव और युवा मंच के नेता संजीव सिंह ने बड़ा मोर्चा खोलते हुए विधानसभा के सामने जोरदार तरीके से आवाज़ उठाई। हाथ में बैनर लेकर उन्होंने देवीपाटन मंडल के सभी सांसदों और विधायकों को आईना दिखाया और तीखे सवाल खड़े किए। बैनर के जरिए उन्होंने सीधे पूछा “कब जागेंगे सोए हुए सांसद और विधायक?” संजीव सिंह ने कहा कि संजय सेतु की हालत किसी से छिपी नहीं है, इसके बावजूद जनप्रतिनिधियों की चुप्पी बेहद चिंताजनक है।

संजीव सिंह ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि यदि जल्द ही संजय सेतु के निर्माण या पुनर्निर्माण को लेकर ठोस और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो देवीपाटन मंडल की जनता को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि रोज़ाना जाम में फंसे एंबुलेंस, स्कूली वाहन और रोज़गार के लिए आने-जाने वाले लोग इस बात का प्रमाण हैं कि यह समस्या अब सिर्फ़ असुविधा नहीं, बल्कि जानलेवा बनती जा रही है।

उन्होंने साफ तौर पर कहा, “यह केवल एक पुल नहीं है, यह लाखों लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का सवाल है। जनप्रतिनिधियों को राजनीति और दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर जनता की पीड़ा समझनी होगी और तत्काल समाधान निकालना होगा।” संजीव सिंह ने यह भी कहा कि यदि सरकार और जनप्रतिनिधि अब भी आंखें मूंदे बैठे रहे, तो आने वाले दिनों में जनआंदोलन को और तेज़ किया जाएगा।

अब बड़ा सवाल यही है कि संजय सेतु की इस ‘घायल’ हालत पर देवीपाटन मंडल के जनप्रतिनिधि कब जागेंगे? क्या गोण्डा, बहराइच और बलरामपुर की जनता को राहत मिलेगी, या फिर वे यूं ही जाम, खतरे और अनदेखी के बीच सफर करने को मजबूर रहेंगे। यह मुद्दा अब सिर्फ़ एक पुल की मरम्मत का नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही और क्षेत्र के भविष्य का सवाल बन चुका है।

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