लखनऊ। हिंदू संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर कथित अत्याचार और हिंसा के मामलों को लेकर भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। समिति ने घोषणा की है कि वह इस संबंध में महामहिम राज्यपाल, उत्तर प्रदेश के माध्यम से भारत सरकार को एक ज्ञापन सौंपेगी।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष चंद्र शेखर पांडेय ने कहा कि बांग्लादेश में बीते एक वर्ष के दौरान राजनीतिक अस्थिरता के बाद से हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसक घटनाएं बढ़ी हैं। उनका आरोप है कि धार्मिक आधार पर हमले, हत्याएं और मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे वहां रह रहे हिंदू परिवारों में भय का माहौल है।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा रहा है और विभाजन के बाद वहां रह गए अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा भारत के लिए नैतिक और मानवीय चिंता का विषय है। समिति का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों में भारतीय समाज और सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाना चाहिए।
भारत सरकार से ये मांगें रखी जाएंगी
हिंदू संघर्ष समिति द्वारा ज्ञापन में निम्नलिखित प्रमुख मांगें शामिल की गई हैं:-
- बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से हस्तक्षेप की अपील की जाए।
- नेहरू–लियाकत समझौता (1950) में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े प्रावधानों के उल्लंघन के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया जाए।
- भारत में रह रहे अवैध घुसपैठियों की पहचान कर कानून के तहत कार्रवाई की जाए।
- धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का सामना कर रहे लोगों के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के प्रभावी क्रियान्वयन पर विचार किया जाए।
- बांग्लादेश में मानवाधिकारों की निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय शांति या पर्यवेक्षक तंत्र की मांग की जाए।
समिति ने कहा कि वह इस मुद्दे को शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीके से उठाएगी तथा भारत सरकार से मानवीय आधार पर ठोस कदम उठाने की अपेक्षा करती है।


