भारत में मंगलवार को सोने के वायदा भाव (Gold Futures Prices) ने नया कीर्तिमान रच दिया। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाला सोना ₹651 की बढ़त के साथ ₹1,20,900 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। यह उछाल मुख्य रूप से वैश्विक बाजार में मजबूती, अमेरिकी सरकार के शटडाउन और फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में संभावित कटौती की अटकलों के कारण देखा गया।
सोने में जोरदार तेजी
एमसीएक्स के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2026 डिलीवरी वाला गोल्ड फ्यूचर भी ₹648 (0.53%) बढ़कर ₹1,22,231 प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जारी अनिश्चितता, ब्याज दरों में संभावित कटौती और सेंट्रल बैंकों द्वारा लगातार सोने की खरीदारी इस तेजी का मुख्य कारण हैं। मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विश्लेषक मानव मोदी ने कहा, “अमेरिकी आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के बीच सोने की मांग में मजबूती आई है। निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में गोल्ड में रुख कर रहे हैं, जिससे कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है।”
चांदी भी रिकॉर्ड के करीब
सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी बढ़त दर्ज की गई। मार्च 2026 की डिलीवरी के लिए चांदी ₹327 (0.21%) बढ़कर ₹1,49,500 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। सोमवार को यह ₹1,49,605 प्रति किलोग्राम के उच्चतम स्तर पर थी। वहीं दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी ₹281 की बढ़त के साथ लगभग ₹1,47,800 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रही थी।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की चमक
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स गोल्ड फ्यूचर्स (Comex Gold Futures) ने दिसंबर डिलीवरी के लिए $4,000 प्रति औंस का स्तर पार किया, जो करीब 1% की तेजी को दर्शाता है। वहीं, सिल्वर फ्यूचर्स में मामूली गिरावट दर्ज की गई और यह $48.43 प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी।
सेंट्रल बैंकों की खरीद से बढ़ा समर्थन
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, अगस्त में केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीद दोबारा शुरू की और वैश्विक भंडार में 15 टन की वृद्धि हुई। चीन के पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBOC) ने बताया कि सितंबर के अंत तक उसके स्वर्ण भंडार 74.06 मिलियन ट्रॉय औंस तक पहुंच गए — यह लगातार 11वां महीना है जब चीन ने सोना खरीदा है।
निवेशकों की नजर फेडरल रिजर्व पर
विश्लेषकों का कहना है कि अब बाजार की नजर फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की मीटिंग मिनट्स और फेड चेयर जेरोम पॉवेल के भाषण पर टिकी है। उम्मीद है कि इससे आगे की ब्याज दर नीति को लेकर स्पष्ट संकेत मिलेंगे।