फ्रांस के प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नु ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा उनके मंत्रिमंडल की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद आया। लेकोर्नु को बीते महीने ही प्रधानमंत्री बनाया गया था, लेकिन उन्होंने केवल 27 दिनों तक इस पद पर रहते हुए इतिहास रच दिया। उनके इस्तीफे के बाद फ्रांस में राजनीतिक उथल-पुथल और तेज हो गई है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के सामने अब एक साल के भीतर अपना पांचवां प्रधानमंत्री चुनने की चुनौती है। लेकोर्नु के इस्तीफे के साथ वे सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं। इसके साथ ही, 26 दिनों तक बिना किसी कार्यशील सरकार के प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज हुआ। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल की घोषणा के केवल 12 घंटे के भीतर पद से इस्तीफा दे दिया। इससे फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई है।
फ्रांस का राजनीतिक संकट
फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों ने पिछले महीने फ्रांस्वा बायरू को विश्वास मत में अपदस्थ किए जाने के बाद लेकोर्नु को प्रधानमंत्री बनाया था। इससे पहले बायरू के पूर्ववर्ती मिशेल बार्नियर को भी संसद में विश्वास मत नहीं मिलने के कारण हटाया गया था। लेकोर्नु के इस्तीफे के बाद दक्षिणपंथी नेशनल रैली (RN) के नेता जॉर्डन बार्डेला ने राष्ट्रपति मैक्रों से नेशनल असेंबली को भंग करने और चुनाव कराने का आह्वान किया है।
फ्रांस में बीते एक साल से राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। प्रधानमंत्रियों के सामने अल्पमत सरकार चलाने की चुनौती रहती है क्योंकि किसी भी पार्टी या गठबंधन को संसदीय बहुमत नहीं मिला है। बायरू और उनके पूर्ववर्ती बार्नियर को समर्थन मिला था, लेकिन पार्टियों ने उनके बजट प्रस्तावों का समर्थन करने से इनकार कर दिया। यही कारण था कि दोनों को विश्वास मत में असफल होना पड़ा।
इस्तीफे के पीछे कारण
लेकोर्नु के अचानक इस्तीफे का कारण स्पष्ट नहीं है। माना जा रहा है कि यह उनके मंत्रिमंडल के चयन और सरकार के संचालन से जुड़ा हो सकता है। उनके नए मंत्रिमंडल की घोषणा के बाद आलोचना शुरू हो गई थी। आलोचना की मुख्य वजह यह थी कि नए मंत्रिमंडल में कई पुराने मंत्री बरकरार रखे गए थे।
सेबेस्टियन लेकोर्नु ने 2017 में मैक्रों के सत्ता में आने के बाद लगातार सरकार में विभिन्न पदों पर काम किया। वे पहले राष्ट्रपति के पहले मंत्रिमंडल में पारिस्थितिकी मंत्रालय में राज्य सचिव थे। बाद में मंत्री पद पर पदोन्नत हुए और अंततः फ्रांस के रक्षा मंत्री बने। रक्षा मंत्री से प्रधानमंत्री बने लेकोर्नु को इस पद पर केवल एक महीने से भी कम समय रह पाने का अनुभव मिला।इस इस्तीफे ने फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा दिया है और अब यह देखना होगा कि राष्ट्रपति मैक्रों अपने अगले प्रधानमंत्री का चयन कैसे करते हैं।