समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को मंगलवार शाम महराजगंज जिला कारागार से रिहा कर दिया गया। लगभग 33 महीने की लंबी कैद के बाद उनकी रिहाई सपा खेमे के लिए एक बड़ी राहत और राजनीतिक ऊर्जा का स्रोत मानी जा रही है
जेल से बाहर आते ही परिवार से भावुक मुलाकात
शाम करीब 6 बजे जेल से बाहर निकलते ही इरफान सोलंकी ने अपनी पत्नी, सीसामऊ से मौजूदा विधायक नसीम सोलंकी, दोनों बेटों और सास खुर्शीद बेगम को गले लगाया। यह पल भावुक था और परिवार के साथ-साथ मौजूद समर्थकों की आंखें भी नम हो गईं।
सपा कार्यकर्ताओं का जश्न
जेल के बाहर पहले से ही बड़ी संख्या में सपा नेता, कार्यकर्ता और समर्थक मौजूद थे। उन्होंने ढोल-नगाड़ों और नारों के साथ इरफान सोलंकी का स्वागत किया। कार्यकर्ताओं ने फूल-मालाओं से उनका जोरदार अभिनंदन किया और “सपा जिंदाबाद” तथा “इरफान सोलंकी जिंदाबाद” के नारे गूंज उठे।
क्या हैं इसके राजनीतिक मायने?
इरफान सोलंकी की रिहाई ऐसे समय में हुई है जब यूपी की राजनीति में सपा लगातार विपक्षी एकजुटता और मुस्लिम नेतृत्व की भूमिका को लेकर चर्चा में है।
- आजम खान के बाद अब इरफान सोलंकी की रिहाई, सपा को अल्पसंख्यक समुदाय के बीच मजबूती देने का काम कर सकती है।
- पार्टी के भीतर यह रिहाई कार्यकर्ताओं को उत्साह देने और संगठनात्मक ऊर्जा बढ़ाने का भी कारण बनेगी।
कई मामलों में की गई थी कार्रवाई
इरफान सोलंकी, कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। वे पिछले 33 महीनों से जेल में बंद थे। उनके खिलाफ कई मामलों में कार्रवाई की गई थी। हालांकि, सपा लगातार इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताती रही है।
क्या होगी आगे की राह?
इरफान सोलंकी की रिहाई के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे खुद को किस तरह सक्रिय राजनीति में दोबारा स्थापित करते हैं। साथ ही, यह रिहाई यूपी में सपा की रणनीति और आगामी चुनावी समीकरणों पर क्या असर डालेगी, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।