लखनऊ एयरपोर्ट पर 2 महीनों में 44.5 करोड़ ड्रग्स की हुई बरामदगी! क्या सिक्योरिटी में है बड़ी चूक?

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लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अब नशे की तस्करी का बड़ा ट्रांजिट प्वाइंट बनता जा रहा है। पिछले दो महीनों में एयरपोर्ट से करीब 44.5 करोड़ रुपए की हाइड्रोपोनिक वीड (हाई-क्वालिटी गांजा) और अन्य ड्रग्स पकड़ी गई हैं। सीमा शुल्क विभाग की वायु खुफिया इकाई (AIU) ने कस्टम जांच में इस बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है।

थाईलैंड-मलेशिया से सीधी सप्लाई, दिल्ली-पंजाब टारगेट

जांच में पता चला है कि तस्करी का यह नेटवर्क पूरी तरह इंटरनेशनल है। थाईलैंड, मलेशिया और कनाडा से आने वाली फ्लाइट्स के जरिए ड्रग्स लखनऊ एयरपोर्ट पर लाए जाते हैं। इसके बाद इन्हें दिल्ली, मुंबई, पंजाब और अन्य मेट्रो शहरों में सप्लाई किया जाता है। कस्टम अधिकारियों का कहना है कि एयरपोर्ट पर ग्रीन चैनल से निकलते समय यात्रियों की बॉडी लैंग्वेज, लगेज पैटर्न और स्कैनिंग पर खास नजर रखी जाती है। एक्स-रे मशीन, इंटेलिजेंस इनपुट और डॉग स्क्वॉड की मदद से ज्यादातर केस पकड़े गए।

तस्करों के नए-नए ट्रिक

पकड़े जाने से बचने के लिए ड्रग्स तस्कर कई तरीके अपनाते हैं—

  • वैक्यूम पैक पॉलिथीन को बैग की डबल लेयर लाइनिंग में फिट करना।
  • कपड़ों और गिफ्ट आइटम्स के बीच ड्रग्स पैकेट छिपाना।
  • पैकेट को डियोडरेंट और कॉफी पाउडर में लपेटकर गंध छिपाना।

फिर भी, अधिकारियों की सतर्कता से ज्यादातर खेप एयरपोर्ट पर ही पकड़ी जा रही है।

ड्रग्स नेटवर्क की पूरी चेन

  • सोर्स: थाईलैंड, मलेशिया और कनाडा
  • कूरियर: स्टूडेंट्स, टूरिस्ट और ट्रैवल एजेंट्स
  • डिस्ट्रिब्यूशन: लखनऊ से दिल्ली, पंजाब और मेट्रो सिटी
  • पेमेंट: डार्क नेट और क्रिप्टोकरेंसी

जांच एजेंसियों की नई रणनीति

ड्रग्स के बढ़ते नेटवर्क को देखते हुए AIU, NCB और DRI ने संयुक्त रूप से जांच शुरू कर दी है।

  • हाई-रिस्क पैसेंजर्स की एडवांस लिस्ट एयरलाइन से मांगी जा रही है।
  • फ्लाइट पैटर्न ट्रैक करने के लिए डेटा इंटेलिजेंस का इस्तेमाल हो रहा है।
  • एयरपोर्ट पर मल्टी-लेयर स्कैनिंग और डॉग स्क्वॉड की ड्यूटी बढ़ाई गई है।

2 महीनों में 4 बड़ी बरामदगियां

  1. ₹24.00 करोड़ का 23.935 किलो हाइड्रोपोनिक वीड
  2. ₹13.00 करोड़ का 13 किलो हाइड्रोपोनिक वीड
  3. ₹2.49 करोड़ का 2.5 किलो हाइड्रोपोनिक वीड
  4. ₹4.91 करोड़ का 4.917 किलो हाइड्रोपोनिक वीड

सवाल उठता है…

लगातार हो रही बरामदगियां इस बात का सबूत हैं कि लखनऊ एयरपोर्ट अब स्मगलिंग नेटवर्क के लिए हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। सवाल यह भी है कि इतनी सख्ती के बावजूद तस्करों को इंटरनेशनल फ्लाइट्स से माल लाने का मौका कैसे मिल रहा है? और क्या अब एयरपोर्ट सिक्योरिटी और ज्यादा कड़ी होगी?

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