Donald Trump: इजरायली संसद में डोनाल्ड ट्रंप के भाषण के दौरान हंगामा,ट्रंप ने अरब देशों और मुस्लिम नेताओं का जताया आभार

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इजरायल की संसद नेसेट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संबोधन के दौरान माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया जब एक सांसद ने हंगामा कर दिया। राष्ट्रपति ट्रंप इजरायली सांसदों को संबोधित कर रहे थे, तभी विपक्षी सांसद ओफर कासिफ अपनी सीट से उठकर नारेबाजी करने लगे और उनकी ओर बढ़ने की कोशिश की। सुरक्षा अधिकारियों ने तुरंत स्थिति को संभालते हुए उन्हें काबू में किया और संसद भवन से बाहर ले जाया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति से मांगी माफी

आपको बता दे… हंगामे के दौरान ट्रंप का भाषण कुछ समय के लिए रुक गया, लेकिन बाद में उन्होंने अपना संबोधन दोबारा शुरू किया। इजरायली सांसदों ने इस अप्रिय घटना के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति से माफी मांगी। बताया जा रहा है कि ओफर कासिफ अरब-बहुल हदाश-ताअल पार्टी के एकमात्र यहूदी सदस्य हैं और वे गाजा और वेस्ट बैंक में इजरायली सैन्य कार्रवाइयों के विरोध के लिए जाने जाते हैं। घटना के दौरान उन्होंने “नरसंहार” लिखा एक बोर्ड भी उठाया था, जिसे सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत जब्त कर लिया।

अरब देशों और मुस्लिम नेताओं का धन्यवाद

अपने भाषण में राष्ट्रपति ट्रंप ने मध्य पूर्व में शांति प्रयासों की सराहना की। उन्होंने अरब देशों और मुस्लिम नेताओं का धन्यवाद किया जिन्होंने हमास पर दबाव डालने और बंधकों की रिहाई में सहयोग किया। ट्रंप ने कहा कि यह इजरायल और पूरी दुनिया के लिए “शांति और सहयोग की जीत” है। उन्होंने कहा, “हमें उन कई देशों का समर्थन मिला, जिनसे पहले हमने इस तरह की उम्मीद नहीं की थी, और मैं इसके लिए उनका आभारी हूं।”

बेंजामिन नेतन्याहू का ज़िक्र

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का भी उल्लेख किया और उन्हें “साहस और देशभक्ति का प्रतीक नेता” बताया। हालांकि उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि “आप जानते हैं, मैं किसके बारे में बात कर रहा हूं,” जिससे सभा में हल्की मुस्कान फैल गई। वहीं, विपक्ष के नेता यायर लापिड ने ट्रंप की तारीफ करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को “अगले साल नोबेल शांति पुरस्कार” से सम्मानित किया जाना चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम के बाद संसद की कार्यवाही सामान्य हो गई, लेकिन यह घटना इजरायल की राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है, जहां एक ओर ट्रंप की यात्रा को ऐतिहासिक बताया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विरोधी धड़ा इसे विवादास्पद मान रहा है।

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