CBI चार्जशीट : ‘मणिपुर पुलिसकर्मियों ने, कुकी महिलाओं को’ भीड़ में धकेला

0
440

चित्र : मणिपुर में हुई हिंसा के दृश्य।

नई दिल्ली। सीबीआई के आरोपपत्र (चार्जशीट) में कहा गया है कि मणिपुर पुलिस के जवानों ने कुकी-ज़ोमी समुदाय की दो महिलाओं को, जो सरकारी जिप्सी में शरण ले रही थीं, कथित तौर पर कांगपोकपी जिले में करीब 1,000 मेतेई दंगाइयों की भीड़ में धकेल दिया।

चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि राज्य में जातीय हिंसा के दौरान दोनों महिलाओं को नग्न कर परेड कराई गई, और उनका यौन उत्पीड़न किया गया। बुधवार को जारी चार्जशीट में आगे कहा गया है कि महिलाओं, जिनमें से एक कारगिल युद्ध के जवान की पत्नी थी। जवान ने, पुलिसकर्मियों से सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए बहुत आग्रह किया, लेकिन पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर कहा कि वाहन की चाबी नहीं है और उन्होंने कोई मदद नहीं की।

बता दें कि पिछले साल जुलाई में एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दो महिलाओं को पुरुषों की भीड़ द्वारा नग्न अवस्था में घुमाया जा रहा था। यह घटना 4 मई को हुई थी और उसके करीब दो महीने बाद यह वीडियो वायरल हुआ था।

सीबीआई ने पिछले साल 16 अक्टूबर को गुवाहाटी (असम) में सीबीआई अदालत के विशेष न्यायाधीश के समक्ष छह आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र और एक बाल अपराधी (सीसीएल) के खिलाफ रिपोर्ट दाखिल की थी। इसमें आरोप लगाया गया है कि दोनों महिलाएं एके राइफल, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल जैसे अत्याधुनिक हथियार लेकर करीब 900-1,000 लोगों की भीड़ से भाग रही थीं।

इसमें कहा गया है कि भीड़ सैकुल पुलिस थाने से लगभग 68 किलोमीटर दक्षिण में कांगपोकपी जिले के उनके गांव में जबरन घुस गई थी। महिलाएं अन्य पीड़ितों के साथ भीड़ से बचने के लिए जंगल में भाग गईं, लेकिन दंगाइयों ने उन्हें देख लिया और पीड़ितों को अलग कर दिया।

घटना की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि भीड़ के कुछ सदस्यों ने महिलाओं से सड़क किनारे खड़ी पुलिस की गाड़ी तक पहुंचने और मदद मांगने को कहा। दोनों महिलाएं किसी तरह गाड़ी के अंदर घुसने में कामयाब रहीं, जिसमें दो पुलिसकर्मी और ड्राइवर बैठे थे। गाड़ी के बाहर तीन से चार पुलिसकर्मी थे।

पीड़ितों में से एक पुरुष, जो गाड़ी के अंदर घुसने में कामयाब रहा, ड्राइवर से विनती करता रहा कि वह उन्हें सुरक्षित जगह पर ले जाए, लेकिन उसे बताया गया कि चाबी नहीं है। पीड़ितों में से एक के पति असम रेजिमेंट में सूबेदार के पद पर भारतीय सेना में कार्यरत थे। सीबीआई ने आरोप लगाया कि पुलिस ने वाहन में बैठे व्यक्ति के पिता को भी भीड़ के हमले से बचाने में कोई मदद नहीं की।

बाद में पुलिस जिप्सी के ड्राइवर ने करीब 1,000 लोगों की भीड़ की तरफ गाड़ी बढ़ा दी और उनके सामने गाड़ी रोक दी। पीड़ितों ने पुलिस कर्मियों से उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए बहुत आग्रह किया, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं दी गई।

सीबीआई ने बताया कि भीड़ ने पहले ही एक पुरुष पीड़ित के पिता को मार डाला था, जो दो महिलाओं के साथ जिप्सी में बैठा था। हिंसक भीड़ जिप्सी की ओर तब बढ़ी जब पुलिस वाले मौके से भाग गए और पीड़ितों को भीड़ के भरोसे छोड़ दिया।

चार्जशीट में कहा गया है कि दंगाइयों ने महिलाओं को घसीटकर बाहर निकाला, उनके कपड़े उतार दिए और उनका यौन उत्पीड़न करने से पहले उन्हें नग्न अवस्था में घुमाया। सीबीआई ने हुइरेम हेरोदास मीतेई, जिसे जुलाई में मणिपुर पुलिस ने पकड़ा था, तथा पांच अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है, तथा एक किशोर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।

सीबीआई ने कहा है कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सामूहिक बलात्कार, हत्या, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना और आपराधिक साजिश से संबंधित धाराएं शामिल हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here