BCCI ने बदली ट्रैवल पॉलिसी, दैनिक भत्ते में कटौती और जनवरी से भुगतान भी लंबित

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मुंबई: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने अपनी यात्रा और भत्ता नीति में अहम बदलाव करते हुए इसे सरल और पारदर्शी बना दिया है। जनवरी 2025 से कर्मचारियों को मिलने वाला दैनिक भत्ता रुका हुआ था, लेकिन अब नई नीति लागू होने के बाद यह अटका हुआ भुगतान जल्द ही किया जाएगा।

दैनिक भत्तों का पुनर्गठन
BCCI की मौजूदा यात्रा नीति के अनुसार, छोटी अवधि (चार दिन तक) की यात्रा के लिए कर्मचारियों को ₹15,000 प्रतिदिन और लंबी अवधि की यात्रा (जैसे IPL, WPL, ICC टूर्नामेंट) के लिए ₹10,000 प्रतिदिन का भुगतान किया जाता था। इसके साथ ही ₹7,500 का एकमुश्त आकस्मिक भत्ता भी मिलता था। हालांकि, संशोधित नीति में आकस्मिक भत्ता पूरी तरह से हटा दिया गया है और अब सभी कर्मचारियों को यात्रा के दौरान प्रतिदिन ₹10,000 दिए जाएंगे। टैक्स कटौती के बाद यह राशि ₹6,500 प्रतिदिन रह जाएगी।

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जनवरी से रुका हुआ भुगतान अब जल्द मिलेगा
जनवरी से लेकर अब तक वित्त, संचालन और मीडिया जैसे विभागों के कर्मचारियों को आईपीएल और डब्ल्यूपीएल के दौरान किसी प्रकार का दैनिक भत्ता नहीं दिया गया था। नई नीति के अनुसार, अब उन्हें उनके काम के अनुसार तय किए गए अनुपात में भुगतान किया जाएगा।

कर्मचारियों के लिए स्पष्ट भत्ता ढांचा
नई नीति इसलिए लागू की गई है क्योंकि कुछ कर्मचारी मुंबई मुख्यालय में रहकर भी टूर्नामेंट के दौरान यात्रा भत्ते का दावा कर रहे थे। इससे पारदर्शिता की कमी महसूस की जा रही थी। अब कर्मचारियों को उनके कार्य और उपस्थिति के आधार पर भत्ता मिलेगा:

पूरे आईपीएल टूर्नामेंट (70 दिन) की यात्रा पर जाने वाले कर्मचारी को ₹7 लाख तक (₹10,000 प्रतिदिन) का भुगतान मिलेगा।

सीमित यात्रा करने वाले कर्मचारी को कुल राशि का 60%, यानी ₹4.2 लाख मिलेंगे।

मुंबई मुख्यालय में रहकर काम करने वाले कर्मचारी को 40%, यानी ₹2.8 लाख का भुगतान मिलेगा।

विदेश यात्राओं के लिए अलग भत्ता व्यवस्था
सामान्य कर्मचारियों को विदेश यात्रा पर $300 प्रतिदिन भत्ता दिया जाता है।

वरिष्ठ मानद पदाधिकारियों जैसे अध्यक्ष, सचिव, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और संयुक्त सचिव को $1,000 प्रतिदिन का भत्ता मिलता है।

नीति में सुधार की जरूरत क्यों पड़ी
BCCI सूत्रों के अनुसार, कर्मचारियों के बीच समानता और पारदर्शिता लाने के लिए यह बदलाव जरूरी था। इससे न सिर्फ भत्ता वितरण में पारदर्शिता आएगी, बल्कि अनावश्यक दावों पर भी रोक लगेगी।

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