बरेली अलर्ट: फ्लैग मार्च, क्यूआरटी टीम और इंटरनेट बंद! क्या संकेत दे रही है सरकार?

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बरेली जिले में 26 सितंबर को हुए बवाल के बाद प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। दशहरा और शुक्रवार को जुमे की नमाज़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। इसके तहत जिले में दो दिन के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है और दूसरे जिलों से आई अतिरिक्त पुलिस बल को चार अक्टूबर तक रोक दिया गया है।

सिर्फ तकनीकी कदम नहीं, सामाजिक और राजनीतिक संकेत भी

बृहस्पतिवार दोपहर से इंटरनेट बंद होने की खबर सोशल मीडिया पर फैलते ही लोगों में खलबली मच गई। लोग आदेश की कॉपी शेयर करते रहे और जानने की कोशिश की कि क्यों इंटरनेट बंद किया गया। विश्लेषकों का मानना है कि इंटरनेट बंद करना केवल सूचना नियंत्रण नहीं है, बल्कि प्रशासन का उद्देश्य संभावित अफवाहों और सोशल मीडिया पर फैलने वाली गलत सूचनाओं को रोकना भी है। पिछले सप्ताह हुए बवाल में सोशल मीडिया पर झूठी खबरों और भड़काऊ पोस्टों ने हालात बिगाड़ने में भूमिका निभाई थी। इसलिए प्रशासन ने दोबारा इंटरनेट बंद करने का कदम उठाया है।

सुरक्षा बढ़ाने के कड़े इंतजाम

हालांकि शहर की स्थिति फिलहाल सामान्य है, लेकिन प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी है। एसपी साउथ अंशिका वर्मा के नेतृत्व में फ्लैग मार्च, महिला एसओजी की वीरांगना यूनिट और महिला क्यूआरटी की छह टीमें तैनात की गई हैं। प्रत्येक टीम में 30-35 कर्मी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की तैयारियां दिखाती हैं कि प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन और संभावित हिंसा रोकने की रणनीति पहले से तैयार कर रखी है। यह कदम केवल सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि नागरिकों में यह संदेश देने के लिए भी है कि प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

दशहरा और जुमा का संवेदनशील संदर्भ

दशहरा और जुमे की नमाज़ दोनों ही अवसर धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से संवेदनशील हैं। बरेली जैसे शहर में जहां पिछले कुछ दिनों में हिंसक घटनाएं हुई हैं, प्रशासन की तैयारी को पूर्वानुमानित और रणनीतिक कदम कहा जा सकता है।

प्रशासन बनाम अफवाहें

बीएसएनएल के जीएम पंकज पोरवाल ने स्पष्ट किया कि आदेश शासन के निर्देश पर है। लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर अफवाहें और अर्ध-सत्य जानकारी नागरिकों में डर और अस्थिरता पैदा कर सकती हैं। इसलिए इंटरनेट बंद करना एक तकनीकी उपाय होने के साथ-साथ सामाजिक स्थिरता बनाए रखने की कोशिश भी माना जा सकता है।

विश्लेषण – क्या यह सामान्य प्रशासनिक कदम है?

  • एक ओर प्रशासन जनता और संवेदनशील इलाकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है।
  • दूसरी ओर इंटरनेट और संचार पर रोक लगाना यह संकेत भी देता है कि सरकार सूचना और नियंत्रण के माध्यम से संभावित अस्थिरता को रोकना चाहती है।
  • इससे यह सवाल उठता है कि क्या सुरक्षा के नाम पर नागरिकों की सूचना तक पहुंच सीमित करना लोकतंत्र में स्वीकार्य है या नहीं।

दशहरा-जुमा: बरेली प्रशासन ने बढ़ाई चौकसी

बरेली प्रशासन ने दशहरा और जुमा के मद्देनजर सुरक्षा और नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इंटरनेट बंद करना, फ्लैग मार्च और क्यूआरटी टीमों की तैनाती दर्शाती है कि प्रशासन किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हर संभव उपाय कर रहा है। लेकिन यह भी एक सामाजिक और राजनीतिक संकेत है कि प्रशासन ने जानकारी के प्रवाह पर नियंत्रण करने की रणनीति भी अपनाई है। इससे नागरिकों के लिए संदेश साफ है: सुरक्षा के लिए चौकसी बढ़ाई जा रही है, लेकिन सोशल मीडिया और सूचना पर प्रतिबंधों के चलते लोगों को सावधान रहना होगा।

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