चित्र : यॉर्क यूनिवर्सिटी, टोरंटो, कनाडा।
टोरंटो, (कनाडा)। ये एक हैरान करने वाली खबर है। टोरंटो की यॉर्क यूनिवर्सिटी की एक टीम ने ऐतिहासिक मिट्टी के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक का पता लगाया है, जिनमें से कुछ पहली या दूसरी शताब्दी ई.पू. तक के हैं। ये छोटे प्लास्टिक के टुकड़े सात मीटर से अधिक गहराई में दबे पाए गए, जिससे पुरातात्विक स्थलों की प्राचीन प्रकृति के बारे में पिछली धारणाओं को हल करने में मदद मिल सकती है।
हाल ही में प्रकाशित शोध में मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिसमें कुल 16 विभिन्न प्रकार के माइक्रोप्लास्टिक पॉलिमर पाए गए। प्लास्टिक प्रदूषण की यह व्यापक उपस्थिति ऐतिहासिक कलाकृतियों के संरक्षण और भविष्य की पुरातात्विक जांच पर उनके संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएं पैदा करती है।
ये निष्कर्ष प्लास्टिक प्रदूषण की व्यापकता को उजागर करते हैं, जो अतीत में प्लास्टिक का उपयोग होने की पुष्टि करते हैं।
यह शोद ‘जर्नल साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट’ में प्रकाशित में प्रकाशित हुआ है। यह शोध यॉर्क और हल विश्वविद्यालयों द्वारा किया गया था और शैक्षिक चैरिटी यॉर्क आर्कियोलॉजी द्वारा इसे सपोर्ट किया गया।
यॉर्क विश्वविद्यालय के पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर जॉन शॉफिल्ड का कहना है, ‘यह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि हमें क्या उम्मीद करनी चाहिए थी, पहले जो प्राचीन पुरातात्विक भंडार समझे जाते थे, जिनकी जांच की जानी थी, वास्तव में वे प्लास्टिक से प्रदूषित हैं, और इसमें 1980 के दशक के अंत में मिले भंडार भी शामिल हैं।
हम महासागरों और नदियों में प्लास्टिक से परिचित हैं। लेकिन यहां हम अपनी इतिहास में भी प्लास्टिक प्रदूषण के उदाहरण देखने को मिल रहे हैं।