यमुना एक्सप्रेसवे जीरो पॉइंट पर किसानों की महापंचायत, मांगें न पूरी हुईं तो लखनऊ मार्च करेंगे

उत्तर प्रदेश में जमीन अधिग्रहण से प्रभावित किसानों का आक्रोश फिर सामने आया है। सोमवार को यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो पॉइंट पर गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा जिलों के हजारों किसान भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के झंडे तले जुटे। इस विशाल महापंचायत में राकेश टिकैत ने मुख्य भूमिका निभाई और किसानों ने अपनी पुरानी मांगों को लेकर प्रशासन को 14 जनवरी तक का अल्टीमेटम दिया। चेतावनी दी गई कि अगर समस्याओं का निराकरण नहीं हुआ तो सभी किसान लखनऊ की ओर कूच कर जाएंगे।

महापंचायत का माहौल और तैयारी

सुबह से ही किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों, कारों और अन्य वाहनों से जीरो पॉइंट पर पहुंचने लगे थे। पांच घंटे तक चली इस सभा में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण से जुड़ी शिकायतें जोर-शोर से उठाई गईं। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने भारी फोर्स तैनात की थी, लेकिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा।

राकेश टिकैत की प्रमुख मांगें

बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रभावित किसानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवजा और 10% विकसित प्लॉट जरूर मिलना चाहिए। साथ ही:

  • जिलों में सर्किल रेट को यथार्थवादी बनाया जाए।
  • पुश्तैनी आबादी वाली जमीन पर बुलडोजर न चलें, क्योंकि परिवार बढ़ने से आवास की समस्या गहरा रही है।
  • नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए जमीन देने वाले किसानों को रोजगार में 70% प्राथमिकता दी जाए।

टिकैत ने जोर देकर कहा कि ये मांगें लंबे समय से लंबित हैं और अब धैर्य की सीमा खत्म हो रही है।

प्रशासन का जवाब

महापंचायत के बीच एडीएम लॉ एंड ऑर्डर बच्चू सिंह, यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेंद्र कुमार सिंह और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी राम नयन सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि मांगों पर स्टेप बाय स्टेप काम चल रहा है। एडीएम ने बताया कि सर्किल रेट बढ़ाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और नए साल में इसकी घोषणा हो जाएगी।

सभा में विभिन्न जिलों के बीकेयू पदाधिकारी जैसे आगरा के राजवीर लवानिया, मथुरा की कुमारी मीरा, बुलंदशहर के अरब सिंह, हाथरस के सतदेव पाठक और अलीगढ़ के सुंदर बालियान भी उपस्थित रहे।

यह महापंचायत विकास प्राधिकरणों की नीतियों से उपजे किसान असंतोष की ताजा कड़ी है। अगर 14 जनवरी तक ठोस कदम नहीं उठाए गए तो बड़ा आंदोलन देखने को मिल सकता है। किसान संगठन एकजुट होकर अपनी हक की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।

[acf_sponsor]