लखनऊ। कानपुर रोड पर चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की चहारदीवारी के सामने बना पुल अब विमान संचालन के लिए बड़ी बाधा बन गया है। इस पुल के चलते कानपुर रोड की ओर से रनवे का करीब 157 मीटर हिस्सा उपयोग में नहीं लिया जा पा रहा, जिससे विमानों की टच लैंडिंग दूरी कम करनी पड़ी है।
रनवे की उपलब्ध लंबाई कम होने के कारण बड़े विमानों की लैंडिंग अब केवल बिजनौर रोड छोर से ही संभव हो पा रही है। कानपुर रोड छोर से विमान संचालन सीमित हो गया है, जिससे एयरपोर्ट के ऑपरेशन पर असर पड़ रहा है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI) ने इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को एक वैकल्पिक प्रस्ताव दिया है। प्राधिकरण ने सुझाव दिया है कि पुल की जगह अंडरपास बनाया जाए, जिसके लिए एयरपोर्ट की चारदीवारी के सामने सड़क पार खाली पड़ी अपनी जमीन एनएचएआई को सौंपी जा सकती है।
इस व्यवस्था से पुल पर चल रहे यातायात को अंडरपास में शिफ्ट किया जा सकेगा और रनवे का पूरा उपयोग फिर से संभव हो पाएगा। हालांकि यह प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरण में है।
कानपुर रोड छोर से पहले विमानों के लिए 2744 मीटर लंबा रनवे उपलब्ध था। पुल बनने के बाद पायलटों को सड़क पर चल रहे वाहनों से दिक्कत आने लगी। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानपुर छोर से टच लैंडिंग पॉइंट को 157 मीटर बिजनौर छोर की ओर खिसका दिया गया।
अब इस दिशा से केवल 2587 मीटर रनवे का ही इस्तेमाल हो पा रहा है।
बिजनौर रोड की ओर से विमानों की लैंडिंग के लिए अब भी 2744 मीटर लंबा रनवे उपलब्ध है। इस छोर पर घने कोहरे में सुरक्षित लैंडिंग के लिए कैट-3बी इंस्ट्रूमेंटल लैंडिंग सिस्टम भी स्थापित है, जिससे बड़े विमान आसानी से उतर पा रहे हैं।
चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर प्रतिदिन करीब 120 घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन होता है। ऐसे में रनवे की पूरी क्षमता का उपयोग न हो पाना एयर ट्रैफिक प्रबंधन के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
एयरपोर्ट के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, लगभग 100 मीटर लंबा अंडरपास बनने से रनवे की पूरी लंबाई का उपयोग फिर से संभव हो सकेगा। जल्द ही एनएचएआई और लखनऊ एयरपोर्ट प्रशासन की संयुक्त टीम स्थल निरीक्षण कर आगे की कार्रवाई तय करेगी।




