राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जाएगा। दिल्ली सरकार IIT कानपुर के साथ मिलकर एक उन्नत ‘क्लीन एयर फ्रेमवर्क’ विकसित करने जा रही है, जो साल के 365 दिन प्रदूषण नियंत्रण पर फोकस करेगा। इस फ्रेमवर्क में डेटा-ड्रिवन तकनीक का उपयोग कर प्रदूषण के स्रोतों की सटीक पहचान की जाएगी और लक्षित कार्रवाई की जाएगी।
इस नई रणनीति का मुख्य आधार ‘डायनामिक सोर्स अपॉर्शनमेंट’ होगा, जिसमें धूल, वाहनों, उद्योगों, बायोमास जलाने और आसपास के क्षेत्रीय कारकों से होने वाले प्रदूषण का रियल-टाइम वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाएगा। इससे सामान्य प्रतिबंधों के बजाय प्रदूषण के असली कारणों पर सीधी कार्रवाई संभव हो सकेगी। फ्रेमवर्क में बहु-एजेंसी समन्वय पर भी जोर दिया गया है, जहां नगर निगम, जिला प्रशासन, प्रवर्तन एजेंसियां और तकनीकी संस्थान एक साझा डेटा प्लेटफॉर्म पर काम करेंगे। जिम्मेदारियां स्पष्ट होंगी और जवाबदेही तय रहेगी।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण को मौसमी अभियान नहीं बनने दिया जा सकता। अब हर निर्णय रियल-टाइम डेटा और मापनीय परिणामों पर आधारित होगा। ‘होल ऑफ गवर्नमेंट’ दृष्टिकोण अपनाते हुए दिल्ली-एनसीआर की सभी एजेंसियों को जोड़ा जाएगा। इससे दिल्ली को ‘फायरफाइटिंग’ मोड से निकालकर स्थायी रोकथाम की दिशा में ले जाया जा सकेगा।
हालिया प्रयासों में पिछले 24 घंटों में 250 छोटी और 92 बड़ी निर्माण साइटों का निरीक्षण, 1,694 किलोमीटर सड़कों पर पानी का छिड़काव, 41 ट्रैफिक पॉइंट्स को जाम-मुक्त करना, 6,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों की सफाई, 7,000 से ज्यादा वाहनों पर चालान और 58 शिकायतों का निपटारा शामिल है।
यह पहल दिल्लीवासियों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकती है, जहां प्रदूषण न केवल स्थानीय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बना रहता है। IIT कानपुर की विशेषज्ञता से उम्मीद है कि प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण संभव हो सकेगा।





