उत्तर प्रदेश के शामली जिले में गुर्जर समाज की कलस्यान खाप पंचायत ने समाज सुधार के लिए तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। इन फैसलों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक आयोजनों में बढ़ती फिजूलखर्ची पर रोक लगाना है। पंचायत ने इन प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित कर तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंड का प्रावधान भी विचाराधीन है।
रविवार को गांव बलवा के जूनियर हाई स्कूल में सात गांवों – बलवा, जसाला, रसूलपुर, ब्रह्मखेड़ा, मीमला, पंजोखरा और खंदरावली की महापंचायत आयोजित की गई। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान ने मुख्य रूप से फिजूलखर्ची के मुद्दे को उठाया और कहा कि सामाजिक परंपराओं के नाम पर हो रहे अनावश्यक खर्च से समाज आर्थिक रूप से कमजोर हो रहा है। सभी गांवों के प्रतिनिधियों ने इस पर विचार-विमर्श किया और सुझाव दिए।
पंचायत के तीन प्रमुख फैसले
- भात नौतने में सादगी: शादी-विवाह में भात नौतने के लिए अब केवल 5 से 7 महिलाएं ही जाएंगी। इससे पहले बड़ी संख्या में लोग जाते थे, जिससे खर्च बढ़ जाता था। अब कम खर्च में यह रस्म निभाई जाएगी।
- माता पूजन सादगी से: माता पूजन को अब विवाह उत्सव की तरह भव्य नहीं मनाया जाएगा। हलवाई नहीं बुलाए जाएंगे, न ही मिठाइयां बांटी जाएंगी। यह आयोजन बेहद सादगी और न्यूनतम खर्च में किया जाएगा।
- अन्य सुधार: गृह प्रवेश जैसे अवसरों पर आमंत्रण नहीं दिए जाएंगे। शुभ कार्यक्रमों में मंगलामुखी (किन्नर) को अधिकतम 1100 रुपये दिए जाएंगे। बच्चों में संस्कार विकसित करने पर भी जोर दिया गया।
पंचायत ने सभी सात गांवों के लोगों से इन आदेशों का सख्ती से पालन करने को कहा है। उल्लंघन करने पर सामाजिक बहिष्कार या अन्य दंड पर विचार किया जा रहा है।
पश्चिमी यूपी में गुर्जर समाज की मजबूत पकड़
गुर्जर खाप पंचायत की पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी प्रतिष्ठा है। गुर्जर समाज प्रदेश की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और अपने आंतरिक मामलों में स्वतंत्र निर्णय लेना पसंद करता है। ये फैसले समाज में आर्थिक संतुलन और सादगी को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माने जा रहे हैं।





