लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में सामने आए धर्मांतरण और कथित कट्टरपंथी गतिविधियों के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए जांच शुरू कर दी है। कुलपति द्वारा गठित 5 सदस्यीय जांच समिति ने पैथोलॉजी विभाग में जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है और समिति को 7 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
इस बीच, लव जिहाद और जबरन धर्मांतरण के आरोपों का सामना कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर रमीजुद्दीन नायक उर्फ रमीज मालिक अब तक फरार है। उसे पकड़ने के लिए पुलिस की कई टीमें दबिश दे रही हैं। उत्तराखंड के खटीमा सहित संभावित ठिकानों पर छापेमारी की गई, लेकिन आरोपी अब तक हाथ नहीं आया है।
पूरा पैथोलॉजी विभाग जांच के दायरे में
मामले के तूल पकड़ने के बाद KGMU प्रशासन ने पूरे पैथोलॉजी विभाग की भूमिका की जांच शुरू कर दी है। एक फैकल्टी सदस्य की छुट्टी रद्द कर दी गई है और उन्हें लखनऊ न छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। विभागाध्यक्ष वर्तमान में एक शैक्षणिक सम्मेलन के कारण बाहर हैं, जिससे विभाग में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
KGMU प्रवक्ता डॉ. केके सिंह के अनुसार, कुछ फैकल्टी मेंबर्स पर आरोपी डॉक्टर के पक्ष में लॉबिंग और पीड़िता के विरोध में भूमिका निभाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इनकी निष्पक्ष जांच की जा रही है।
पुलिस जांच और बयान दर्ज
आरोपी डॉक्टर के माता-पिता से चौक थाना पुलिस ने करीब चार घंटे तक पूछताछ की है। वहीं, पीड़ित महिला डॉक्टर का मेडिकल परीक्षण और पुलिस बयान दर्ज किया जा चुका है। मजिस्ट्रियल बयान कोर्ट अवकाश के चलते लंबित है।
पुलिस की एक टीम नोएडा भी रवाना हुई है, जहां एक अन्य महिला डॉक्टर का बयान दर्ज किया जाना है, जिस पर आरोपी द्वारा पहले धर्मांतरण कर निकाह करने का आरोप है।
महिला आयोग और NMO की सक्रियता
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कुलपति से मुलाकात कर पूरे प्रकरण की जानकारी ली और सख्त कार्रवाई की मांग की। वहीं, नेशनल मेडिकोस ऑर्गेनाइजेशन (NMO) ने KGMU में प्रदर्शन कर आरोपी डॉक्टर की डिग्री रद्द करने और विभागीय जिम्मेदारी तय करने की मांग की है।
NMO ने यह भी आरोप लगाया है कि बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट विभाग में अवैध रूप से रोहिंग्याओं को संविदा पर रखा गया है, जिसकी जांच की मांग की गई है।
घटना कैसे सामने आई
पीड़ित महिला डॉक्टर, जो KGMU से एमडी पैथोलॉजी की छात्रा है, ने 17 दिसंबर को आत्महानि का प्रयास किया था। इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि आरोपी डॉक्टर ने उनकी बेटी पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया।
विशाखा कमेटी की जांच में आरोपी दोषी पाए जाने के बाद उसे निलंबित कर परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है और उसके खिलाफ FIR भी दर्ज की जा चुकी है।





