उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में बेसिक शिक्षा विभाग ने एक अनोखा आदेश जारी किया है। अब परिषदीय स्कूलों के शिक्षक आवारा कुत्तों के आतंक वाले इलाकों का चिह्नांकन करेंगे और उनकी निगरानी कर रिपोर्ट सौंपेंगे। बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) रोशनी सिंह की ओर से जारी इस निर्देश पर शिक्षक संघों में आक्रोश फैल गया है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का हवाला
BSA रोशनी सिंह ने उच्चतम न्यायालय में दाखिल एक याचिका के अनुपालन में शिक्षा निदेशालय के पत्र का जिक्र करते हुए यह आदेश जारी किया। इसमें सभी खंड शिक्षा अधिकारियों (BEO) को नोडल अधिकारी बनाया गया है। उनके नेतृत्व में शिक्षकों को अपने-अपने विकासखंड में उन स्थानों की पहचान करनी है जहां आवारा कुत्तों का खतरा ज्यादा है।
आदेश में साफ कहा गया है कि यह काम बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा के मद्देनजर किया जा रहा है, खासकर उन स्कूलों में जहां बाउंड्रीवॉल टूटी हुई है या कुत्तों का जमावड़ा रहता है।
BSA बोलीं- शिक्षकों का सम्मान बरकरार
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रोशनी सिंह ने स्पष्ट किया कि शिक्षकों से कुत्तों को पकड़ने या गिनती करने को नहीं कहा गया है, सिर्फ खतरे वाले स्थलों का चिह्नांकन और रिपोर्टिंग है। उन्होंने कहा, “शिक्षकों का पूरा सम्मान है। उनका दर्जा यथावत है। नगर पालिका और नगर पंचायतों से संपर्क कर 15 से ज्यादा जगहों का मूल्यांकन हो चुका है। कार्रवाई जारी है।”
शिक्षक संघ का विरोध
शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेश मिश्रा ने आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के नाम पर शिक्षकों से कुत्तों की निगरानी कराना उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाएगा। अगर यह लागू हुआ तो संघ सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेगा।
जिले में इस आदेश के बाद शिक्षकों और संघ नेताओं के बीच चर्चाओं का दौर चल रहा है। कई शिक्षक इसे मुख्य कार्य से ध्यान भटकाने वाला कदम बता रहे हैं।





