
उत्तर प्रदेश में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया मंगलवार देर रात समाप्त हो गई। राज्य भर में डीएम कार्यालयों और मुख्य निर्वाचन कार्यालय में गणना पत्रों के डिजिटलाइजेशन को अंतिम रूप देने का काम लगातार चलता रहा।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा के अनुसार, SIR शुरू होने से पहले प्रदेश में कुल 15 करोड़ 44 लाख मतदाता दर्ज थे। 26 दिसंबर को पहले चरण की गणना और डेटा अपलोड पूरा होने के बाद अब तक 2.89 करोड़ नाम लिस्ट से हटाए जा चुके हैं। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट और फाइनल आंकड़े 31 दिसंबर को जारी किए जाएंगे।
किन कारणों से हटाए गए नाम?
आंतरिक सूत्रों से मिली जानकारी बताती है कि हटाए गए मतदाताओं में 1.26 करोड़ लोग ऐसे थे जो स्थायी रूप से यूपी से बाहर बस चुके हैं।
45.95 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है। 23.32 लाख नाम डुप्लीकेट मिले। 84.20 लाख मतदाता “लापता” श्रेणी में आ गए।9.37 लाख लोगों ने गणना पत्र तो लिया लेकिन उसे जमा नहीं किया। समीक्षा की समयसीमा में 15 दिन बढ़ोतरी होने के कारण करीब दो लाख नए मतदाता भी जुड़े हैं।
टाइमलाइन में बदलाव और चुनाव आयोग की स्थिति
SIR की समयसीमा बढ़ाने को लेकर यूपी चुनाव आयोग ने दिल्ली चुनाव आयोग से अनुरोध किया था। भाजपा भी प्रक्रिया को कुछ और समय देने के पक्ष में थी, लेकिन आयोग ने तीसरी बार डेडलाइन बढ़ाने से साफ मना कर दिया।
पहले चरण में गणना पत्र जमा करने की मूल तिथि 4 दिसंबर थी, जिसे पहले 14 दिसंबर और उसके बाद 26 दिसंबर तक बढ़ाया गया।
पहले आए 2.91 करोड़ हटने के अस्थायी आंकड़े
निर्वाचन आयोग ने इससे पहले 10 दिसंबर को जो अंतरिम आंकड़े जारी किए थे, उनमें 2.91 करोड़ नाम हटाए जाने की बात कही गई थी। सीईओ नवदीप रिणवा ने उस समय हटाए गए नामों की श्रेणियां पांच बिंदुओं में बताई थीं—
1.27 करोड़ परमानेंट शिफ्ट
45.95 लाख मृतक
23.59 लाख डुप्लीकेट
84.73 लाख लापता
9.57 लाख जिन्होंने फॉर्म वापस नहीं किया
अब नजर फाइनल नंबर्स पर
31 दिसंबर को जारी होने वाली ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से यह स्पष्ट होगा कि यूपी में कुल मतदाता कितने रह गए। शहरी और ग्रामीण इलाकों में वोटर संख्या में कितना बदलाव आया और SIR का राज्य की वोटर प्रोफाइल पर अंतिम असर क्या रहा। फाइनल आंकड़े आने के बाद तस्वीर और साफ होगी कि प्रदेश में मतदाताओं की संख्या कितनी कम या बढ़ी है।




