Uttar Pradesh News : बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी इस मुद्दे को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। प्रदेश की राजनीति में जातीय जनगणना एक बार फिर केंद्र में आ गई है। सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच इस विषय पर तीखी बयानबाज़ी देखने को मिल रही है, वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के हालिया बयान ने बहस को और हवा दे दी है।

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लोकतंत्र और गणना को लेकर एक विस्तृत टिप्पणी साझा की। उन्होंने लिखा कि लोकतंत्र में गणना की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। चाहे वह मतगणना हो, जनगणना हो या फिर जातीय जनगणना—इन सभी प्रक्रियाओं के जरिए ही लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होती है। उन्होंने अपने संदेश में यह भी कहा कि लोकतंत्र का मूल भाव ही गणना से जुड़ा हुआ है।
केशव मौर्य का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान जातीय जनगणना को लेकर पहले से ही सियासी माहौल गर्म है। गुरुवार को विधान परिषद में इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा था कि वह जातीय जनगणना के विरोध में नहीं हैं। उन्होंने सदन में यह भी स्पष्ट किया कि जातीय जनगणना केंद्र सरकार के माध्यम से कराई जाएगी और इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का भी यही रुख है।
हालांकि, उनके इस रुख के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने उपमुख्यमंत्री के बयान को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी और उनसे इस्तीफे की मांग कर डाली। शिवपाल यादव ने तंज कसते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी में पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता की भी बात नहीं सुनी जाती। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में उपमुख्यमंत्री को बीजेपी से अलग होने पर विचार करना चाहिए।
शिवपाल यादव के इस बयान के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी और तेज हो गई। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया, जिससे विधानसभा का माहौल भी गरमा गया। समाजवादी पार्टी लगातार यह सवाल उठा रही है कि अगर सरकार जातीय जनगणना के खिलाफ नहीं है, तो फिर इसे लागू करने में देरी क्यों हो रही है।
इसी क्रम में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी जातीय जनगणना को लेकर सरकार पर दबाव बढ़ाया। उन्होंने कहा कि देशभर में जातीय जनगणना की मांग लगातार तेज हो रही है। अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में जातीय जनगणना कराकर, जिसकी जितनी आबादी है, उसी अनुपात में उसे आरक्षण और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना का मुद्दा आने वाले समय में और बड़ा राजनीतिक विषय बन सकता है। विपक्ष इसे सामाजिक न्याय से जोड़कर देख रहा है, जबकि सत्तापक्ष संतुलित रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार के स्तर पर फैसले की बात कर रहा है।
फिलहाल, केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद यह साफ है कि जातीय जनगणना को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी टकराव और तेज होने वाला है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर विधानसभा के भीतर और बाहर दोनों जगह राजनीतिक गतिविधियां और तेज होने के संकेत मिल रहे हैं।

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